विदेश की खबरें | डिमेंशिया के जोखिम को आपकी सामाजिक आर्थिक स्थिति, पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसे प्रभावित करती है
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. मेलबर्न, 18 जुलाई (द कन्वरसेशन) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 60 वर्ष या इससे अधिक होगी।
मेलबर्न, 18 जुलाई (द कन्वरसेशन) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 60 वर्ष या इससे अधिक होगी।
ऑस्ट्रेलिया में तेजी से आबादी के उम्रदराज होने का आशय है कि अगर कोई बड़ी चिकित्सा सफलता नहीं मिलती, तो डिमेंशिया (स्मृतिक्षय)से ग्रस्त लोगों की संख्या 2022 में 4,87,600 से बढ़कर 2058 तक दोगुनी से अधिक होकर 11 लाख तक पहुंच सकती है।
स्मृतिक्षय या मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का जोखिम कैसे बढ़ता है, इसे समझने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। यहां, हम तीन कारकों में अनुसंधान पर विचार करते हैं, जो हैं- आपकी सामाजिक आर्थिक स्थिति, आप कहां रहते हैं और आपकी पृष्ठभूमि - और ये डिमेंशिया के जोखिम को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
आपका सामाजिक आर्थिक स्तर डिमेंशिया के जोखिम को कैसे प्रभावित करता है:
सामाजिक आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करते समय अनुसंधानकर्ता आपकी आय, शिक्षा और व्यवसाय के वर्ष के संयोजन पर नजर रखते हैं। सामाजिक आर्थिक स्थिति स्वास्थ्य, सूचना और सेवाएं जैसे संसाधनों तक आपकी पहुंच की क्षमता का उल्लेख करती है।
सामाजिक आर्थिक स्थिति अनेक स्वास्थ्य संबंधी विकारों से जुड़ी हुई है और डिमेंशिया अपवाद नहीं है। अनेक देशों में हुए अध्ययन बताते हैं कि उच्च सामाजिक आर्थिक स्तर वाले लोगों को स्मृतिक्षय होने की आशंका कम होती है।
इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। उच्च सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले लोगों के पास बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, बेहतर शिक्षा और बेहतर पोषण पाने के लिए वित्तीय संसाधन होते हैं। उनके ऐसे क्षेत्रों में रहने की भी संभावना होती है जहां स्वस्थ जीवनशैली से जुड़ी अधिक सेवाएं होती हैं।
आप कहां रहते हैं:
मेरे अनुसंधान दल और अन्य लोगों ने दिखाया है कि क्षेत्र संबंधी सामाजिक स्थिति खराब स्मृति और डिमेंशिया के अधिक जोखिम से जुड़ी है। क्षेत्र संबंधी सामाजिक स्थिति एक सूचकांक है जो उस क्षेत्र की औसत पारिवारिक आय, बेरोजगारी की दर, व्यावसायिक कौशल और आवासीय व्यवस्थाओं आदि का समाकलन करती है।
इसे समझना जटिल है। आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो हमारे व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित कर सकती है, जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि समुदाय तीन मुख्य तरीकों से मनोभ्रंश जोखिम में कमी में मदद दे सकते हैं।
पहला है सामाजिक भागीदारी और समावेश को प्रोत्साहित करने के माध्यम से। यह उन कार्यक्रमों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है जो डिजिटल और तकनीकी साक्षरता, सामाजिक आवासीय व्यवस्था (जो सामाजिकरण के लिए अधिक अवसर प्रदान करते हैं) और पास-पड़ोस की सहायता को बढ़ाते हैं।
दूसरा है विशेष रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक पहुंच और नजदीकी बढ़ाकर।
तीसरा है यातायात सुरक्षा पर जोर देकर और बाहरी शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए शहरी हरित क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाने समेत मनोरंजन सुविधाओं को बढ़ाना।
आपकी पृष्ठभूमि:
कई अध्ययन सुझाते हैं कि माता-पिता की शिक्षा भी व्यक्ति को डिमेंशिया होने के जोखिम से जुड़ी होती है। विशेष रूप से माताओं के कम शिक्षित होने से खराब याद्दाश्त और स्मृतिक्षय अधिक होने का जोखिम जुड़ा है। हालांकि ये प्रभाव छोटे हैं और शिक्षा एवं सामाजिक आर्थिक स्थिति इन स्थितियों से उबार सकती है।
मौजूदा साक्ष्य यह भी बताते हैं कि अफ्रीका और एशिया (यूरोप में) के प्रवासियों में यूरोप के मूल निवासियों की तुलना में मनोभ्रंश का जोखिम अधिक होता है। हालांकि, अफ्रीकी और एशियाई देशों में मनोभ्रंश के मामले यूरोपीय देशों की तुलना में अधिक नहीं है। इसके बजाय, हम गैर-प्रवासी लोगों के सांस्कृतिक और ई रूप से विविध समूहों में मनोभ्रंश का जोखिम अधिक देखते हैं।
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