बॉडी बनाने के लिए कितनी ट्रेनिंग काफी है?
कितनी मेहनत से बढ़िया बॉडी बन सकती है? वैज्ञानिक और खेल विशेषज्ञ इसके लिए अलग-अलग सुझाव देते हैं.
कितनी मेहनत से बढ़िया बॉडी बन सकती है? वैज्ञानिक और खेल विशेषज्ञ इसके लिए अलग-अलग सुझाव देते हैं.शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए कितनी मेहनत करनी चाहिए? वेट ट्रेनिंग को इसके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद बताने वाले कहते हैं कि जितना दर्द होगा, उतना फायदा होगा. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्य के लिए कितना दर्द फायदेमंद हो सकता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं.
कई सालों से ट्रेनर्स जिम जाने वालों को यह सिखाते आए हैं कि सबसे ज्यादा रिजल्ट्स तब मिलते हैं, जब तब तक मेहनत की जाए कि आपकी हिम्मत जवाब ना दे जाए. यानी अगर आप वेट उठा रहे हैं तो जब तक आपके लिए वेट उठाना असंभव ना हो जाए, तब तक उसे उठाया जाना चाहिए. लेकिन कुछ हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि यह चरम अभ्यास सबके लिए फायदेमंद नहीं होता.
कितनी ट्रेनिंग काफी है
इस बारे में स्पोर्ट्स मेडिसिन नामक पत्रिका में एक शोध प्रकाशित हुआ है, जिसमें फ्लोरिडा स्थित अटलांटिक यूनिवर्सिटी में एक्सरसाइज साइंस विभाग के प्रमुख माइकल जॉर्डोस और उनकी टीम ने 55 शोध पत्रों की समीक्षा की है.
कसरत को कैसे ज्यादा से ज्यादा असरदार बनाएं, इस बारे में जॉर्डोस कहते हैं, "एक आइडिया यह है कि बेहतरीन मांसपेशियां बनाने के लिए तब तक ट्रेनिंग की जाए जब तक आप असफल ना होने लगें."
जॉर्डोस और उनके सहयोगियों ने पाया कि बस के बाहर ना हो जाने तक वजन उठाना बड़ी मांसपेशियों का निर्माण कर सकता है, लेकिन ताकत बढ़ाने के लिए जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि जो लोग कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन खुद को पूरी तरह थकाने तक नहीं पहुंचाते, उनके स्वास्थ्य और फिटनेस में भी सुधार हो सकता है. उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य के लिए ट्रेनिंग और प्रदर्शन करने के लिए ट्रेनिंग में अंतर होता है."
विशेषज्ञ कहते हैं कि सामान्य व्यक्ति के लिए जो केवल अपने फिटनेस स्तर को बढ़ाना चाहता है, परिणाम प्राप्त करना कहीं अधिक आसान है. जॉर्डोस कहते हैं कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, उन्हें फास्ट सेशन से लाभ मिलेगा, यानी बजाय पूरी तरह थकावट तक मुश्किल ट्रेनिंग करने के, आसान ट्रेनिंग को बार-बार दोहराया जाए.”
सुडौल शरीर का सपना देखना एक बात है लेकिन जॉर्डोस ने यह भी कहा कि "असफलता हो जाने की हद तक ट्रेनिंग" की अक्सर एक कीमत चुकानी पड़ती है क्योंकि जो लोग इस मानक तक काम कर रहे होते हैं वे इतना थक जाते हैं और दर्द में होते हैं कि वे अपने अगले जिम सेशन को ही छोड़ देते हैं.
ज्यादा ट्रेनिंग से खतरा
विशेषज्ञ कहते हैं कि कभी-कभी, बहुत अधिक ट्रेनिंग करना हानिकारक हो सकता है, जिससे रैबडोमायोलिसिस नामक एक संभावित घातक स्थिति हो सकती है, जहां क्षतिग्रस्त मांसपेशियां टूटने लगती हैं. इससे गुर्दे को नुकसान हो सकता है.
खेल विज्ञान विशेषज्ञ जेम्स फिशर ने कहा कि पूरी तरह थकावट तक काम करने से जिम में समय कम हो सकता है. उन्होंने कहा, "असल में हम यह कह रहे हैं कि जब आप जिम जाते हैं तो आपको कितनी मेहनत करनी चाहिए. इस बात को ऐसे समझा जाना चाहिए कि अत्यधिक मेहनत करने वाले लोगों का जिम में समय कम हो सकता है.”
फिशर ने कहा, "अगर आपके पास समय कम है, तो आप खुद पर ज्यादा जोर दे सकते हैं, और फिर आपको ज्यादा देर तक काम करने की जरूरत नहीं है."
फिशर ने समझाया कि ताकत बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी मांसपेशियों को एक निश्चित सीमा तक धकेलें. वह कहते हैं कि "यदि आप ऐसा वजन उठाते हैं जिसे आप आसानी से 10 बार या उससे अधिक उठा सकते हैं, तो आप वास्तव में कभी भी इतनी कड़ी मेहनत नहीं करते. अब, अगर हम वजन बढ़ाते हैं ताकि नौवीं और दसवीं बार में यह बहुत भारी लगने लगे, तो इससे आपके मांसपेशी तंतुओं को फायदा मिलेगा."
फिर भी, फिशर ने कहा कि सबसे अच्छा वर्कआउट अंततः "वह है जिसे लोग वास्तव में करेंगे," इस पर ध्यान दिए बिना कि वे खुद पर कितना जोर डाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य में पूरे सुधार के लिए वेट ट्रेनिंग शायद सबसे अच्छी अकेली ऐसी एक्सरसाइज है जो लोग अपने स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता और लंबी उम्र के लिए कर सकते हैं.
वीके/एए (एपी)