देश की खबरें | परिवार के भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए हिमंत असम समझौते का मुद्दा उठा रहे हैं: कांग्रेस
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. असम में विपक्षी कांग्रेस ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राज्य सरकार की आलोचना करते हुए दावा किया कि हिमंत विश्व शर्मा ने अपने परिवार द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश के तहत असम समझौते के कार्यान्वयन का मुद्दा उठाया है।
गुवाहाटी, 18 सितंबर असम में विपक्षी कांग्रेस ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राज्य सरकार की आलोचना करते हुए दावा किया कि हिमंत विश्व शर्मा ने अपने परिवार द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश के तहत असम समझौते के कार्यान्वयन का मुद्दा उठाया है।
एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया और कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा कि असम समझौते पर न्यायमूर्ति बिप्लब कुमार शर्मा समिति की 57 सिफारिशों को लागू करने के राज्य सरकार के दावे का कोई आधार नहीं है क्योंकि केवल केंद्र ही इसे लागू कर सकता है।
बोरा ने कहा, "मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा 2026 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए असम के लोगों को भ्रमित करना चाहते हैं। उनके परिवार का भ्रष्टाचार लोगों के बीच एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने अपने परिवार के इस कथित भ्रष्टाचार से जनता का ध्यान हटाने के लिए असम समझौते का मुद्दा उठाया है।"
उन्होंने कहा कि असम समझौते के सभी प्रावधानों को लागू करने के लिए समिति की सिफारिशों को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लागू किया जा सकता है, यह राज्य सरकार के दायरे में नहीं आता।
बोरा ने कहा, "वह यह सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहे हैं कि राज्य रिपोर्ट के 57 खंडों को कैसे लागू करेगा? मुख्यमंत्री उन 10 खंडों को छोड़ रहे हैं जो असम समझौते में सबसे महत्वपूर्ण हैं।"
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट और इसे लागू करने के बारे में गृह मंत्रालय की ओर से एक शब्द भी नहीं कहा गया है।
सैकिया ने कहा कि उन्होंने भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से समिति की रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा को सौंपने को कहा था ताकि वह इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दे सकें, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम समझौते के खंड छह के त्वरित कार्यान्वयन के लिए न्यायमूर्ति बिप्लब कुमार शर्मा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) का गठन किया था।
पच्चीस फरवरी 2020 को समिति ने असम समझौते के कार्यान्वयन पर अपनी रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपने के लिए दी थी।
अक्टूबर 2021 में असम सरकार ने 39 साल पुराने असम समझौते के सभी खंडों (विशेष रूप से न्यायमूर्ति बिप्लब कुमार शर्मा समिति द्वारा तैयार खंड-6 रिपोर्ट) के कार्यान्वयन के लिए तीन महीने के भीतर एक रूपरेखा तैयार करने के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति ने अभी तक रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।
चार सितंबर को मुख्यमंत्री ने कहा कि असम मंत्रिमंडल ने असम समझौते के खंड 6 पर न्यायमूर्ति बिप्लब कुमार शर्मा समिति द्वारा दी गई 67 सिफारिशों में से 57 को लागू करने का फैसला किया है।
असम समझौते पर 1985 में छह साल तक चले हिंसक विदेशी विरोधी आंदोलन के बाद हस्ताक्षर किए गए थे। इसमें अन्य प्रावधानों के अलावा यह भी कहा गया था कि 25 मार्च 1971 या उसके बाद असम आने वाले सभी विदेशियों के नाम का पता लगाया जाएगा, उन्हें मतदाता सूची से हटाया जाएगा और उन्हें निर्वासित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)