हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश), 31 अक्टूबर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के सम्मू गांव के लोग दिवाली नहीं मना रहे हैं, जो उनके यहां प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा है। सदियों पहले दिवाली के दिन एक महिला के ‘सती’ हो जाने के बाद उसके ‘‘अभिशाप’’ के डर से ग्रामीण इस त्योहार को नहीं मनाते हैं।
प्रकाश का जीवंत त्योहार दिवाली सम्मू गांव के लोगों के लिए अन्य दिनों की तरह ही बीतता है, जब घरों में कोई विशेष सजावट या रोशनी नहीं की जाती और पटाखों की आवाजें गायब रहती हैं।
गांव के लोग परम्पराओं के फेर में फंसे हुए हैं और उन्हें दिवाली के दिन किसी भयानक अनहोनी का डर सताता रहता है। किंवदंती है कि काफी समय पहले एक महिला दिवाली मनाने के लिए यहां अपने माता-पिता के घर गई थी। लेकिन जल्द ही उसे खबर मिली कि उसके पति की मृत्यु हो गई, जो राजा के दरबार में एक सैनिक था।
निवासियों का कहना है कि गर्भवती महिला सदमे को सहन नहीं कर सकी और अपने पति की चिता पर बैठकर सती हो गई थी और ग्रामीणों को शाप दिया कि वे कभी भी दिवाली नहीं मना पाएंगे। तब से, इस गांव में दिवाली कभी नहीं मनाई गई है।
भोरंज पंचायत प्रधान पूजा देवी और कई अन्य महिलाओं ने कहा कि जब से वे शादी करके इस गांव में आई हैं, उन्होंने कभी यहां दिवाली का जश्न मनाते नहीं देखा।
हमीरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित सम्मू गांव भोरंज पंचायत के अंतर्गत आता है।
पूजा देवी ने ‘पीटीआई-’ को बताया, ‘‘अगर गांव वाले बाहर भी बस जाएं तो भी महिला का अभिशाप उन्हें नहीं छोड़ेगा। कुछ साल पहले, गांव से दूर जा बसा एक परिवार दिवाली के लिए कुछ स्थानीय व्यंजन बना रहा था, तभी उनके घर में आग लग गई। गांव के लोग केवल सती की पूजा करते हैं और उनके सामने दीये जलाते हैं।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)