मंगलुरू, 16 जून कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस फैसले के तीन महीने बाद कि मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज विकास समितियों (सीडीसी) के फैसलों का पालन करना चाहिए और हिज़ाब के बगैर निर्धारित पोशाक पहननी चाहिए, यहां के हेलयांगडी में सरकारी प्रथम श्रेणी कॉलेज की 19 छात्राएं कक्षाओं में उपस्थित नहीं हो रही हैं।
कक्षाओं में हिजा़ब पहनने को अडिग छात्राएं अब कॉलेज छोड़ने के कगार पर हैं क्योंकि पिछले तीन महीनों से न तो उनकी कोई लिखित परीक्षा ली गई है और न ही वे कक्षाओं में उपस्थित हुई हैं।
मंगलुरू विश्वविद्यालय के उप्पिनंगडी में स्थित सरकारी प्रथम श्रेणी कॉलेज में इसी तरह के मुद्दे को छात्राओं और अभिभावकों के साथ चर्चा के बाद हल किया गया था।
उच्च न्यायालय के 15 मार्च के फैसले के अनुसार, कॉलेज के अधिकारियों द्वारा संस्थान के अंदर हिज़ाब पहनने पर सख्ती से रोक लगाने के बाद हेलयांगडी कॉलेज में 19 छात्राओं को पढ़ाई-लिखाई का नुकसान हो रहा है।
हालांकि, छात्राओं का कहना है कि उच्च न्यायालय का आदेश केवल 'प्री-यूनिवर्सिटी' कॉलेजों पर लागू होता है। अदालत ने स्पष्ट किया था कि यह आदेश उन संस्थानों तक सीमित है, जहां सीडीसी ने विशिष्ट 'ड्रेस कोड' या पोशाक निर्धारित किया है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ छात्राओं ने पढ़ाई बंद करने का मन बना लिया है। हालांकि, उन्हें अभी भी उम्मीद है कि कॉलेज के अधिकारी इस फैसले पर पुनर्विचार करेंगे।
कॉलेज के प्राचार्य के श्रीधर ने कहा कि तीसरे वर्ष की 19 छात्राएं परीक्षा में शामिल नहीं हुईं और नये सत्र की कक्षाओं को भी छोड़ दिया।
प्राचार्य ने कहा, ''मैंने छात्राओं को उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वह हिजाब पहनने पर जोर दे रही हैं।''
उन्होंने कहा कि दो साल तक कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं का अचानक कॉलेज छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है।
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