श्रीनगर, 14 जुलाई जम्मू कश्मीर में इंटरनेट की गति पर पाबंदी के कारण ऑनलाइन सुनवाई में हो रही ‘परेशानी’ को लेकर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने गृह सचिव शालीन काबरा को तलब किया है।
काबरा को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बृहस्पतिवार को पीठ के सामने पेश होने और अदालत के ई-संपर्क पर पाबंदी के असर के बारे में अवगत कराने को कहा गया है।
मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति संजय धर की पीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को आदेश जारी कर केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर और लद्दाख के निवासियों के अधिकार से जुड़े जरूरी मुद्दों पर चिंता प्रकट की ।
तीन पृष्ठ के आदेश में पृष्ठभूमि बताते हुए पीठ ने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कड़ा लॉकडाउन लागू होने की वजह से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामलों की सुनवाई करना जरूरी है ।
आदेश में कहा गया है, ‘‘हालांकि, हमारे आईटी विशेषज्ञों के पुरजोर प्रयासों के बावजूद सुनवाई करना संभव नहीं हो पाया। एमिकस क्यूरी (मोनिका कोहली) और हमारे सामने पेश होने वाले कई वकीलों से ऑनलाइन तरीके से जुड़ना संभव नहीं हो पाया। एडवोकेट जनरल को भी सुनवाई से जुड़ने में कठिनाई हुई। ’’
पीठ ने कहा कि न्याय तक पहुंच एक मौलिक अधिकार है और इसे अवरूद्ध नहीं किया जा सकता। अदालत का दरवाजा केंद्र शासित क्षेत्र के हर नागरिक के लिए खुला है ।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सामने जो कठिनाई पैदा हो रही है इसके मद्देनजर गृह सचिव शालीन काबरा वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हों और अदालतों के ई-संपर्क पर पाबंदी के असर के बारे में अवगत कराएं।’’
अदालत ने मई में उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी आदेश का हवाला दिया जिसमें शीर्ष अदालत ने प्रशासन द्वारा संपर्क (कनेक्टिविटी) पाबंदी की समीक्षा करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था।
उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के दौरान लोगों को हो रही परिशानियों का स्वत: संज्ञान लिया था और मामले में मोनिका कोहली को अदालत का सहयोगी (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया था ।
पिछले साल पांच अगस्त के बाद से जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा रोक दी गयी थी। इस साल जनवरी से चरणबद्ध तरीके से टू जी गति के साथ इंटरनेट को बहाल किया गया ।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)