Rape: किसान आंदोलन में शामिल होने जा रही पश्चिम बंगाल की महिला से दुष्कर्म के मामले में हरियाणा पुलिस ने SIT गठित की

हरियाणा पुलिस पश्चिम बंगाल की एक महिला से दो लोगों द्वारा दुष्कर्म किए जाने के आरोपों की जांच कर रही है जो उसे टीकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर ले गए थे.

दुष्कर्म/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

झज्जर/नयी दिल्ली, 10 मई : हरियाणा पुलिस (Haryana Police) पश्चिम बंगाल की एक महिला से दो लोगों द्वारा दुष्कर्म किए जाने के आरोपों की जांच कर रही है जो उसे टीकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर ले गए थे. कोविड-19 (COVID-19) के लक्षण सामने आने के बाद अस्पताल में महिला की मौत हो गई थी. महिला के पिता ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी से तब दुष्कर्म किया गया, जब वह किसानों का समर्थन करने के लिए एक संगठन के कुछ सदस्यों के साथ टीकरी बॉर्डर गयी थी. पुलिस ने मामले की जांच के लिए रविवार को विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की. इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि महिला के पिता द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में दो मुख्य आरापियों समेत छह लोगों के नाम हैं.

महिला के पिता ने शनिवार को दी गयी शिकायत में कहा कि उनकी बेटी 10 अप्रैल को बंगाल से हरियाणा-दिल्ली के बीच स्थित टीकरी बॉर्डर गयी थी. कोविड-19 के लक्षण दिखने के बाद 25-26 अप्रैल की रात उसे झज्जर जिले के बहादुरगढ़ में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. बहादुरगढ़ के थाना प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार ने कहा कि शिकायकर्ता ने दावा किया है कि कुछ लोगों के साथ दोनों आरोपी पिछले महीने पश्चिम बंगाल गए थे. महिला किसान आंदोलन का समर्थन कर रही थी और उसने उन लोगों के साथ प्रदर्शन स्थल पर जाने की इच्छा प्रकट की थी. वहीं, संबंधित मामले की खबर के बाद संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा बिलकुल स्वीकार्य नहीं है. यह भी पढ़ें : हरियाणा की जेल से लोहे की ग्रिल काटने के बाद 13 कोविड पॉजिटिव कैदी भागे

इसने एक बयान में कहा कि उसे महिला से यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना की घटना का पता चला और संगठन यह स्पष्ट कर देना चाहता है कि अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए हैं. आरोपियों को प्रदर्शन में आने से भी रोक दिया गया.

किसान मोर्चे ने कहा कि वह इस लड़ाई को तार्किक अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है. संगठन ने कहा कि महिला ऐसे कुछ लोगों के साथ पहुंची थी जिन्होंने खुद को ‘किसान सोशल आर्मी’ का सदस्य बताया था.मोर्चे ने कहा कि ‘किसान सोशल आर्मी’ किसान समूहों की आवाज के लिए अधिकृत संगठन नहीं है और उसका इस आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है.

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