Gujarat Assembly Elections 2022: Vyara सीट पर पहली बार आमने-सामने दो ईसाई उम्मीदवार

गुजरात की व्यारा विधानसभा सीट पर पहली बार दो ईसाई उम्मीदवारों के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा

कांग्रेस और बीजेपी (Photo Credits: File Photo)

अहमदाबाद, 29 नवंबर गुजरात की व्यारा विधानसभा सीट पर पहली बार दो ईसाई उम्मीदवारों के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा।

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस दोनों ने इस सीट पर ईसाई उम्मीदवार उतारे हैं। इस सीट से गुजरात को अमरसिंह चौधरी के रूप में पहला मुख्यमंत्री मिला था।

कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट से अपने मौजूदा विधायक पूनाभाई गामित को टिकट दिया है, तो वहीं भाजपा ने चार बार से विधायक गामित से मुकाबले के लिए पहली बार ईसाई उम्मीदवार मोहन कोंकणी को मैदान में उतारा है।

गामित का कहना है कि ईसाई मतदाता फिर से कांग्रेस को वोट देंगे, जबकि कोंकणी का दावा है कि राज्य में भाजपा सरकार द्वारा किए गए विकास के कारण लोग उनकी पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कमजोर वर्गों को साथ लेकर चलने के कांग्रेस के दृष्टिकोण ने जनजातीय बहुल सीटों पर जीत हासिल करने में उसकी मदद की है, जबकि इस विधानसभा क्षेत्र में सामाजिक पहलुओं को देखते हुए भाजपा को जीत हासिल करने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है।

कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली और दक्षिण गुजरात के जनजातीय बहुल तापी जिले में स्थित व्यारा सीट पर कुल 2.20 लाख मतदाताओं में से लगभग 40,000 यानि 20 प्रतिशत ईसाई हैं।

अधिकांश ईसाई गामित, चौधरी और कोंकणी जनजाति समुदायों से परिवर्तित हुए हैं। एक दिसंबर को पहले चरण में इस सीट पर मतदान होना है।

कांग्रेस के दिग्गज नेता अमरसिंह चौधरी ने 1972 से 1985 के बीच चार बार इस सीट पर जीत हासिल की थी। साल 1985 में वह राज्य के पहले और अब तक के एकमात्र जनजातीय मुख्यमंत्री बने थे।

समाज शास्त्री गौरांग जानी ने ‘पीटीआई-’ से कहा कि कमजोर समुदायों को साथ लेकर चलने के अपने दृष्टिकोण के कारण जनजातीय सीटों पर कांग्रेस को सफलता मिली है, जिससे भाजपा को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने को मजबूर होना पड़ा है।

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