तिरुवनंतपुरम/कोझिकोड, तीन नवंबर केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोना तस्करी मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय की कथित भूमिका संबंधी राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बयान को ‘पीत पत्रकारिता के समान’ बताया और कहा कि उन्होंने साबित कर दिया है कि ‘वह आरएसएस हैं’।
माकपा नीत सरकार और राज्यपाल के आरोप-प्रत्यरोप के बीच उन पर निशाना साधते हुए विपक्षी कांग्रेस ने पूछा कि क्या खान में सोना तस्करी घोटाले के मुद्दे पर एलडीएफ सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस है।
दूसरी तरफ भाजपा ने राज्यपाल को समर्थन जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को अपने खुद के अधिकारों की सीमाओं को समझना चाहिए और यह भी अध्ययन करना चाहिए कि कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला के साथ क्या हुआ।
राजनीतिक दलों की यह प्रतिक्रिया खान के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने सोना तस्करी विवाद का जिक्र करते हुए आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय राज्य में ऐसी अवैध गतिविधियों को संरक्षण प्रदान कर रहा है।
राज्यपाल ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने कभी हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन यदि राज्य सरकार, सीएमओ और मुख्यमंत्री के करीबी लोग तस्करी गतिविधियों में शामिल हैं तो निश्चित रूप से उनके हस्तक्षेप करने का आधार बनता है।
इससे पहले विजयन ने तिरुवनंतपुरम में शिक्षा संरक्षण समिति द्वारा आयोजित सम्मेलन में खान पर निशाना साधते हुए विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था।
इन आरोपों और दावों पर प्रतिक्रिया में माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने कहा कि खान ने खुद साबित कर दिया है कि ‘‘वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हैं और ऐसा करने के लिए अब किसी और की जरूरत नहीं है’’।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अब फैसला उन्हें करना है कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं या नहीं।’’
गोविंदन ने यह आरोप भी लगाया कि राज्यपाल जानबूझकर राज्य में धर्मनिरपेक्ष तानेबाने को बिगाड़ रहे हैं और कुलपतियों तथा प्रति-कुलपतियों को हटाकर एवं उनकी जगह संघ के लोगों की नियुक्ति करके शिक्षा व्यवस्था को खतरनाक स्थिति में पहुंचा रहे हैं।
उन्होंने खान के बयानों को ‘पीत पत्रकारिता’ के समान तथा ‘घटिया’ करार दिया।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यपाल की आलोचना करते हुए कहा कि खान के बयान बेबुनियाद हैं और उनके पद को शोभा नहीं देते।
उन्होंने कहा, ‘‘एक मामला चल रहा है और राज्यपाल के लिए अब इस तरह के बयान देना पूरी तरह अस्वीकार्य, आपत्तिजनक और गलत है।’’
भाकपा के प्रदेश सचिव कणम राजेंद्रन ने कहा कि राज भवन ‘राजी’ (मलयालम में इस्तीफा) भवन बन गया है क्योंकि राज्यपाल हमेशा किसी के इस्तीफे के लिए कहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वह अपने अधिकार का इस्तेमाल कर जो चाहें करें और केरल सरकार संविधान तथा कानून के अनुरूप इसका सामना करेगी। देखते हैं कि ऐसा कब तक चलेगा।’’
केरल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष और सांसद के. सुधाकरन ने राज्यपाल को अपनी कथनी के अनुसार कार्रवाई करने की चुनौती दी।
उन्होंने कहा, ‘‘वह (खान) कह रहे हैं कि सब तस्करी मामले की बात कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि सीएमओ इस तरह की गतिविधियों को संरक्षण दे रहा है। अगर वह इस बात से सहमत हैं तो उन्हें सरकार को भंग कर देना चाहिए या कम से कम केंद्र से इस मामले में जांच के लिए कहना चाहिए।’’
उन्होंने केरल की राजधानी में संवाददाताओं से कहा, ‘‘क्या उनमें सरकार की महज आलोचना करने के बजाय ऐसा करने की हिम्मत या रीढ़ है।’’
इस बीच केरल से भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य पी के कृष्णदास ने राज्यपाल का समर्थन करते हुए एलडीएफ सरकार और मुख्यमंत्री पर खान के खिलाफ बयानों से देश के संविधान एवं संघवाद को चुनौती देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कोझिकोड में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री जब राज्यपाल के अधिकारों की सीमाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो उन्हें भारतीय नक्शे को देखते हुए अपनी सीमाओं को भी समझना चाहिए।
कृष्णदास ने कहा कि विजयन उसी श्रेणी में आते हैं जिसमें महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला आते हैं और उन्हें अध्ययन करना चाहिए कि इन नेताओं के साथ क्या हुआ।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)