देश की खबरें | सरकार कृषि कानूनों को वापस लेकर ‘बड़प्पन’ दिखाए : शिवसेना

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली सीमा के पास किसानों के जारी आंदोलन के बीच शिवसेना ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि विपणन कानूनों को वापस ले लेगी तो यह उसकी‘फिराखदिली’ होगी।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

मुंबई, सात दिसंबर दिल्ली सीमा के पास किसानों के जारी आंदोलन के बीच शिवसेना ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि विपणन कानूनों को वापस ले लेगी तो यह उसकी‘फिराखदिली’ होगी।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे एक संपादकीय में ‘बिगड़ते’ हालात के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है।

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संपादकीय में कहा गया, ‘‘किसान दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कृषि कानूनों को वापस लेने में सरकार को भी हिचकिचाने की कोई वजह नहीं है बल्कि यह उसकी‘फिराखदिली’ होगी।’’

हजारों किसान नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्र के बीच शनिवार को पांचवें दौर की वार्ता बेनतीजा रही। किसान संगठनों ने मंगलवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।

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‘सामना’ में संपादकीय में कहा गया कि मुद्दे के संबंध में शिरोमणि अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल और राकांपा प्रमुख शरद पवार जैसे किसान नेताओं से बातचीत करने का प्रयास किया गया होता तो स्थिति थोड़ी आसान होती ।

सामना में कहा गया, ‘‘आज स्थिति बिगड़ती जा रही है, यह सरकार के ही कर्मों का फल है।’’

संपादकीय में कहा गया, ‘‘येन केन प्रकारेण चुनाव जीतना आसान है लेकिन दिल्ली की सीमा पर पहुंच चुके किसानों के मुद्दे, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से निपटने वाले विशेषज्ञों की सरकार में कमी है।’’

संपादकीय में कहा गया कि एक समय भाजपा के पास प्रमोद महाजन, अरूण जेटली और सुषमा स्वराज जैसे संकटमोचक थे जो वार्ता कर (किसी भी मुद्दे पर) गतिरोध को दूर करने का माद्दा रखते थे।

‘सामना’ में कहा गया, ‘‘लेकिन सरकार में आज ऐसा कोई चेहरा नहीं है। इसलिए पांच चरण की बातचीत हो गयी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।’’

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