देश की खबरें | निषादराज की नगरी श्रृंगवेरपुर को भव्य रूप प्रदान कर रही सरकार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान करने के साथ ही प्रयागराज जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर गंगा तट पर स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प किया जा रहा है। छह हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
प्रयागराज, 22 नवंबर महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान करने के साथ ही प्रयागराज जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर गंगा तट पर स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प किया जा रहा है। छह हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह ने बताया कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां करीब 37.33 करोड़ रुपये की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो चरण में किया गया है।
उन्होंने बताया कि निषादराज पार्क के पहले चरण में 19.63 करोड़ रुपये के बजट से निषादराज और भगवान श्रीराम मिलन की प्रतिमा की स्थापना और प्रतिमा के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, चारदीवारी, प्रवेश द्वार का निर्माण आदि कराया गया है।
सिंह ने कहा कि इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क के दूसरे चरण में 18.19 करोड़ रुपये के बजट से भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से संबंधित गैलरी, चित्रांकन, ध्यान केंद्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल सुविधा और शौचालय, कियास्क, पार्किंग, आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण पर्यटन के अंतर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में 'होम स्टे' की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को मिट्टी के घर या झोपड़ी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके।
सिंह ने बताया कि इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी और साथ ही स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा। पर्यटक यहां ठहरने के दौरान स्थानीय ग्रामीण हस्तशिल्प का हिस्सा बन सकें ऐसी उनकी कोशिश है।
उल्लेखनीय है कि भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के दौरान जब अयोध्या से श्रृंगवेरपुर पहुंचे थे, निषादराज गुह्य ने ही भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण को अपनी नाव से नदी पार कराई थी।
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