जरुरी जानकारी | जीडीपी के आधार वर्ष को बदलकर 2022-23 करने पर विचार कर रही सरकार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. सरकार देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना के लिए आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

नयी दिल्ली, 19 सितंबर सरकार देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना के लिए आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

यह एक दशक से अधिक समय में पहला संशोधन होगा। आखिरी संशोधन वित्त वर्ष 2011-12 में किया गया था।

सूत्रों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की सटीक तस्वीर पेश करने के लिए आधार वर्ष को बदलकर 2022-23 करने पर विचार किया जा रहा है। इस संबंध में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की तरफ से राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी सलाहकार समिति (एसीएनएएस) को सुझाव दिया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, विश्वनाथ गोल्डर की अध्यक्षता में गठित 26 सदस्यीय सलाहकार समिति इस काम को वर्ष 2026 की शुरुआत तक पूरा कर सकती है।

सूत्रों ने कहा कि जीडीपी के आकलन के लिए नए आधार वर्ष के अनुमान फरवरी, 2026 में जारी किए जाने की संभावना है।

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (एनएएस) से असंगठित क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण, घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण जैसे प्रमुख आंकड़ों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय वर्ष 2022-23 को अगले आधार के रूप में एसएनएएस के समक्ष रखेगा।’’

सूत्रों ने कहा कि नई गणना में लालटेन, वीसीआर, रिकॉर्डर जैसी कुछ वस्तुओं को हटा दिया जाएगा और स्मार्ट घड़ियों, फोन और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे नए उत्पादों को शामिल जाएगा। इसके अलावा नए स्रोत के तौर पर जीएसटी आंकड़ों को भी रखा जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, जीडीपी की गणना में इस्तेमाल की जाने वाली दरों और अनुपात को अद्यतन करने के लिए कई अध्ययन किए गए हैं और इससे गणना में सुधार देखने को मिलेगा।

सरकार अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्रों की बेहतर और सटीक तस्वीर को सामने लाने के लिए सांख्यिकीय प्रणाली में सुधार के कई उपाय कर रही है।

मंत्रालय के तहत संचालित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) कई आगामी सर्वेक्षणों को अंजाम देने वाला है। चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में किए जाने वाले इन सर्वेक्षणों में घरेलू पर्यटन व्यय सर्वेक्षण, राष्ट्रीय परिवार यात्रा सर्वेक्षण, स्वास्थ्य पर व्यापक सर्वेक्षण, शिक्षा से संबंधित संकेतकों पर सर्वेक्षण शामिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2026-27 में देश में जनजातियों की जीवन स्थिति, अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण और स्थिति आकलन सर्वेक्षण किए जाएंगे।

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