जरुरी जानकारी | सरकार ने बीपीसीएल का विनिवेश फिलहाल टाला, 53 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री की पेशकश वापस ली

नयी दिल्ली, 26 मई सरकार ने बृहस्पतिवार को भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) में अपनी समूची 53 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश वापस ले ली। उसने कहा कि ज्यादातर बोलीदाताओं ने वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा स्थिति के कारण निजीकरण में भाग लेने को लेकर असमर्थता जतायी है।

सरकार ने बीपीसीएल में पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बनायी थी। इसके लिये मार्च, 2020 में बोलीदाताओं से रुचि पत्र आमंत्रित किये गये थे। नवंबर, 2020 तक कम-से-कम तीन बोलियां आयीं।

हालांकि, दो बोलीदाता ईंधन कीमत निर्धारण को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं होने जैसे कारणों से बोली से बाहर हो गये। इससे बोली में केवल एक ही कंपनी रह गयी।

निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्थिति से दुनियाभर के उद्योग खासकर तेल एवं गैस क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।

दीपम ने कहा, ‘‘वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूदा हालात के कारण, अधिकतर पात्र इच्छुक पक्षों (क्यूआईपी) ने बीपीसीएल के विनिवेश की मौजूदा प्रक्रिया में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है।

विभाग ने कहा कि इसको देखते हुए विनिवेश पर मंत्रियों के समूह ने बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश के लिये रुचि पत्र प्रक्रिया बंद करने का निर्णय किया है।

विभाग ने कहा, ‘‘बीपीसीएल में रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय अब स्थिति की समीक्षा के आधार पर उपयुक्त समय पर किया जाएगा।’’

उद्योगपति अनिल अग्रवाल की खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता समूह और अमेरिकी उद्यम कोष अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट तथा आई स्क्वायर्ड कैपिटल एडवाइजर्स ने बीपीसीएल में सरकार की 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी।

लेकिन पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन में घटती रुचि के बीच दोनों इकाइयां वैश्विक निवेशकों को जोड़ पाने में असमर्थ रहीं और बोली से हट गयीं।

सरकार ने वित्तीय बोलियां आमंत्रित नहीं की थीं।

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