जर्मनीः अनाधिकृत आप्रवासियों को निकाला जाएगा
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है कि उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी ही होगी, जिनकी शरण की अर्जी नामंजूर कर दी गई है. यह बात उन्होंने डेर श्पीगल पत्रिका से बातचीत में कही.जर्मनी अनाधिकृत आप्रवासियों की संख्या नियंत्रित करने के लिए जूझ रहा है. शुक्रवार शाम को जर्मनी की गठबंधन सरकार में शामिल तीनों पार्टियों की आप्रवासन के मुद्दे पर बैठक हुई. इसके बाद दिए इंटरव्यू में चांसलर शॉल्त्स ने कहा, "हमें आखिरकार उन्हें देश से निकालना ही होगा, जिनके पास जर्मनी में रहने का अधिकार नहीं है."

उन्होंने यह साफ किया कि ऐसे , जो अपनी शरण की जरूरत साबित नहीं कर सके और जिनके यहां रह पाने की कोई संभावना नहीं है, उन्हें जर्मनी छोड़ देना चाहिए.

शरण का आधार

शॉल्त्स ने कहा, "हमें ज्यादा और तेजी के साथ लोगों को डिपोर्ट करना होगा." अनियमित आप्रवासियों को रोकने के लिए बहुत सारे कदम उठाने की जरूरत है, जिसमें यूरोपियन यूनियन की सीमाओं की बेहतर सुरक्षा के साथ-साथ जर्मनी और उसके पड़ोसी यूरोपीय देशों के बॉर्डर पर भी कड़ा नियंत्रण चाहिए.

हालांकि, जर्मन चांसलर ने कहा कि जर्मनी ऐसे रिफ्यूजियों का स्वागत करता रहेगा, जो राजनीतिक दमन या दूसरे वैध कारणों की वजह से शरण के हकदार हैं. साथ ही, जर्मनी को ज्यादा कुशल कामगारों को भी आकर्षित करते रहना होगा. "लेकिन जो लोग इन दोनों में से किसी भी श्रेणी में नहीं आते, वह हमारे यहां नहीं रह सकते."

आप्रवासियों का सवाल

शॉल्त्स के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में उठा-पटक अक्सर खबरों में आती रहती है. इसी पर टिप्पणी करते हुए चांसलर ने कहा कि सरकारी गठबंधन में राजनीतिक फैसलों पर बेमतलब सा विवाद हमेशा से रहा है, लेकिन अब शायद सरकार में हर कोई इस बात को समझ चुका है.

उनका इशारा इसी महीने हुए कुछ राज्यों के चुनावों के नतीजों की तरफ था, जिसमें सरकार में शामिल तीनों पार्टियों का प्रदर्शन खराब रहा. जबकि आप्रवासियों के मसले को भुनाने वाली धुर दक्षिणपंथी पार्टीने बढ़त दर्ज की, जो कि लगातार चिंता का कारण बना हुआ है.

हालांकि, सरकार ने गैर-कानूनी तरीके से जर्मनी में प्रवेश करने वालों को रोकने और डिपोर्ट करने के लिए एक रिफॉर्म पैकेज पेश किया है, लेकिन विपक्ष और 16 राज्यों को आप्रवासन नीति पर सहमत करना जटिल है.

शॉल्त्स ने सरकार के साथ सहयोग की गुहार लगाई है. अक्टूबर में बर्लिन में हुई एक कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि यह ऐसा मुद्दा है, जिस पर राज्य को दिखाना होगा कि स्थिति काबू में है. राज्यों ने आप्रवासन से जुड़ा एक विस्तृत मसौदा तैयार किया है. उम्मीद है कि 6 नवंबर को 16 राज्यों के प्रधानमंत्रियों की बैठक में इस मसले पर कुछ ठोस उपाय किए जा सकेंगे.

एसबी/वीएस(डीपीए)