विदेश की खबरें | जी-सात ने यूक्रेन में युद्ध से खाद्य संकट गहराने के प्रति आगाह किया

जर्मनी के बाल्टिक सागर तट पर स्थित वेसेनहॉस में तीन दिवसीय बैठक के अंत में जारी एक बयान में जी-सात ने सबसे कमजोर लोगों को और मानवीय सहायता प्रदान करने का संकल्प लिया।

बैठक की मेजबानी करने वालीं जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक ने कहा कि युद्ध एक ‘‘वैश्विक संकट’’ बन गया है। बारबॉक ने कहा कि आने वाले महीनों में पांच करोड़ लोग विशेष रूप से अफ्रीका और मध्य पूर्व में, भुखमरी का सामना करेंगे, जब तक कि यूक्रेन के अनाज भंडार को जारी के तरीके नहीं मिल जाते।

जी-सात ने बयान में कहा, ‘‘रूस के युद्ध ने हाल के इतिहास में सबसे गंभीर खाद्य और ऊर्जा संकटों में से एक को उत्पन्न किया है, जो अब दुनिया भर में सबसे कमजोर लोगों के लिए खतरा बन गया है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘हम वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए एक समन्वित बहुपक्षीय उपाय में तेजी लाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं और इस संबंध में अपने सबसे कमजोर भागीदारों के साथ खड़े हैं।’’

कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि उनका देश यूरोपीय बंदरगाहों पर जहाज भेजने के लिए तैयार है ताकि यूक्रेन का अनाज जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा सके।

जी-सात में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं। जी-सात देशों ने चीन से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की अवहेलना कर रूस की मदद नहीं करने और यूक्रेन में रूस की कार्रवाई को उचित नहीं ठहराने का आह्वान किया।

जी-सात के विदेश मंत्रियों ने कहा कि बीजिंग को यूक्रेन की संप्रभुता और स्वतंत्रता का समर्थन करना चाहिए, न कि ‘‘रूस युद्ध में रूस की सहायता’’ करनी चाहिए। जी-सात देशों ने चीन से यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को उचित ठहराने के लिए चीन से दुष्प्रचार अभियान भी रोकने को कहा। जी-सात ने कहा, ‘‘हम उन सीमाओं को कभी नहीं मान्यता देंगे जिन्हें रूस ने सैन्य आक्रमण से बदलने का प्रयास किया है।’’

हैम्बर्ग के उत्तर-पूर्व में स्थित वेसेनहॉस में विदेश मंत्रियों ने भू-राजनीति, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के लिए युद्ध के व्यापक प्रभावों और जलवायु परिवर्तन तथा महामारी से निपटने के लिए मौजूदा अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर भी चर्चा की।

जी-सात के बयान में कहा गया कि सदस्य देशों ने अफगानिस्तान की स्थिति, मध्य पूर्व में तनाव समेत अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया।

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने शुक्रवार को मित्र देशों से कीव को और अधिक सैन्य सहायता प्रदान करने तथा रूसी नागरिकों की विदेशों में संपत्तियों पर रोक लगाने समेत रूस पर और दबाव बनाने की अपील की थी। कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन के भंडार में फंसे अनाज की आपूर्ति को खोलने और युद्ध को समाप्त करने के लिए राजनीतिक समझौते पर पहुंचने के बारे में रूस से बात करने के लिए तैयार है, लेकिन अभी तक मास्को से ‘‘कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं’’ मिली है।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे जिसके कारण वह जी-सात की बैठक में शामिल नहीं हो पाए। नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की बैठक में उनके भाग लेने की संभावना है। यह बैठक शनिवार और रविवार को होने वाली है।

इस बीच, जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है कि उन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के रुख में कोई बदलाव नहीं दिखा है। शॉल्त्स ने कहा कि जिस सोच के तहत पुतिन ने सैन्य कार्रवाई को मंजूरी दी थी वह उस लक्ष्य को पाने में नाकाम रहे। शॉल्त्स ने कहा, ‘‘पुतिन को यह समझ लेना चाहिए कि इस स्थिति से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका यूक्रेन के साथ समझौता करना है।’’

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