नयी दिल्ली, 28 अगस्त दिल्ली की एक अदालत ने बार-बार ‘सम्मन’ जारी किये जाने के बावजूद उसके समक्ष उपस्थित नहीं होने को लेकर पूर्व विधायक रामबीर शौकीन को चार माह जेल की सजा सुनाई है।
शौकीन, दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में एक संगठित अपराध गिरोह चलाने से जुड़े एक मामले में आरोपी हैं और उनके खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन्हें 23 अगस्त को मकोका के आरोपों से बरी कर दिया गया था।
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने 26 अगस्त को शौकीन को जेल की सजा सुनाते हुए अपने आदेश में कहा कि यह ‘प्राबेशन’ पर रिहाई के लिए एक उपयुक्त मामला नहीं है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दोषी को पूर्व में घोषित अपराधी करार दिया गया था और फिर उसे गिरफ्तार किया गया, इसके बाद वह हिरासत से भाग गया तथा उसे भगोड़ा घोषित किया गया। बाद में उसने आत्मसमर्पण किया...इन तथ्यों पर विचार करते हुए मौजूदा मामला प्रोबेशन पर दोषी की रिहाई के लिए उपयुक्त नहीं है।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए और न्याय प्रदान करने के लिए दोषी रामबीर शौकीन को चार माह की साधारण कारावास की सजा सुनाना तर्कसंगत होगा। ’’
हालांकि, अदालत ने जेल में बिताई गई अवधि को लेकर शौकीन को रिहा कर दिया। पूर्व विधायक के खिलाफ कोई और मामला लंबित नहीं है।
अभियोजन ने मामले में शौकीन के लिए तीन साल कैद की अधिकतम सजा की मांग करते हुए दावा किया था कि वह विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं तथा उन्हें कहीं अधिक जिम्मेदाराना व्यवहार करना था।
वहीं, शौकीन की ओर से पेश हुए वकीलों ने न्यूनतम सजा का अनुरोध करते हुए दावा किया कि मौजूदा मामले में उनके मुवक्किल को फंसाया गया है।
उन्होंने कहा कि वह समाज में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था तथा उनकी पत्नी भी नगर निगम का चुनाव जीती थीं।
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