नयी दिल्ली: देहरादून स्थित ‘सस्टेनेबल ग्रीन इनिशिएटिव’ :एसजीआई: और अमेरिका स्थित ‘रिफारेस्टेशन नॉन प्रॉफिट वन ट्री प्लांटेड’ साथ मिलकर स्थानीय समुदायों की सहभागिता से इस कार्यक्रम को पूरे देश में लघु और सीमांत किसानों की जमीनों पर चलाएंगे. अभियान के तहत लगाए जाने वाले वृक्षों में सहजन, पपीता, केला, नींबू, अमरूद, आडू, नाश्पाती और बेर शामिल हैं. एसजीआई पहले भी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले की सकलाना रेंज के 10 गांवों में 30,100 फलदार वृक्ष लगा चुका है.
इस पहल का मकसद न केवल हरियाली बढ़ाना है बल्कि ग्रामीण जनसंख्या को एक सतत आजीविका भी उपलब्ध कराना है. एसजीआई के संस्थापक राजमोहन ने बताया कि फलदार वृक्ष लगाने से न केवल लघु और सीमांत किसानों को बिना एक पैसा खर्च किए पोषण मिलेगा, बल्कि उस उपज से उन्हें कुछ आमदनी भी होगी. यह भी पढ़ें: कोरोना से जंग: ऑपरेशन समुंद्र सेतु के तहत मालदीव से भारतीयों को वापस लानें के लिए आईएनएस जलश्वा पर तैयारियां हुई शुरू, देखें वीडियो
उन्होंने बताया कि फलदार वृक्षों के काफी दीर्घकालीन लाभ हैं और हर पेड़ हर साल न्यूनतम 1000 रुपए के फल और पोषण उपलब्ध कराता है जो अगले 50—60 सालों तक हर साल बढ़ता जाता है।