चेन्नई, 13 अप्रैल तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को भोजन वितरित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। हालांकि, सरकार ने जोर दिया कि सामाजिक दूरी जैसी सभी सावधानियों का विधिवत पालन किया जाना चाहिए।
पहले लॉकडाउन को लागू करने के लिये लगाई गई निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी जिसके कारण सरकार को द्रमुक सहित विपक्षी दलों से आलोचना का सामना करना पड़ा था।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार की ओर से केवल इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि स्वयंसेवकों और अन्य सेवा संगठनों को जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भोजन (भोजन) जरूरतमंदों तक पहुंच सके।
विज्ञप्ति के अनुसार, सरकार ने कहा कि उसने कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था।
इसमें कहा गया है कि द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन सहित कई नेताओं ने दावा किया था कि सरकार ने स्वयंसेवकों को गरीबों की मदद करने से प्रतिबंधित कर दिया है जो कि सच नहीं है।
मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी द्वारा गठित 12 समितियों में से एक स्वयंसेवकों और सेवा संगठनों के साथ काम कर रही है और काम का ठीक से समन्वय किया जा रहा है। सभी समितियों की अगुवाई आईएएस अधिकारी कर रहे हैं।
राज्य में 2,500 से अधिक संस्थानों और 58,000 स्वयंसेवकों ने सरकार के साथ पंजीकरण किया था और संबंधित जिला प्रशासन के साथ मिलकर वृद्धों, तमिलनाडु के श्रमिकों के साथ-साथ प्रवासी लोगों को राहत देने के लिए काम कर रहे हैं।
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