मुंबई, 28 जुलाई एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा के शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद अगले सप्ताह जेल से बाहर आने की संभावना है क्योंकि उनकी रिहाई से पहले कुछ औपचारिकताएं पूरी की जानी हैं। बचाव पक्ष के वकीलों ने यह जानकारी दी।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस तथा न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दोनों को शुक्रवार को जमानत दे दी और इस तथ्य पर गौर किया कि वे पांच वर्ष से हिरासत में हैं। पीठ ने कहा कि गोंजाल्विस तथा फरेरा महाराष्ट्र से बाहर नहीं जाएंगे और पुलिस को अपना पासपोर्ट जमा कराएंगे।
कार्यकर्ताओं ने जमानत याचिका खारिज करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
गोंजाल्विस और फरेरा को मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वे न्यायिक हिरासत में हैं।
इस मामले में कम से कम 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें ज्यादातर कार्यकर्ता और शिक्षाविद शामिल हैं। आरोपियों में से तीन फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम से जुड़ा है और पुणे पुलिस का कहना है कि इसके लिए धन माओवादियों ने दिया था।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि कार्यक्रम के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक क्षेत्र में हिंसा भड़की थी।
बाद में, यह मामला राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंप दिया गया था।
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