मुंबई, नौ अक्टूबर एल्गार परिषद के कथित माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार 82 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को यहां की एक विशेष एनआईए अदालत ने 23 अक्टूबर तक के लिये शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
स्वामी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बृहस्पतिवार शाम रांची स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था। उन्हें यहां शुक्रवार को विशेष अदालत में पेश किया गया।
अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया क्योंकि जांच एजेंसी ने उनकी हिरासत नहीं मांगी।
स्वामी से पुणे पुलिस और एनआईए पहले दो बार पूछताछ कर चुकी है।
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एनआईए अधिकारियों के मुताबिक स्वामी के प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से कथित संबंधों को लेकर गिरफ्तार किया गया।
इस मामले में गिरफ्तार किये गये वह 16 वें व्यक्ति हैं।
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और ‘गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून’ (यूएपीए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पुणे के पास कोरेगांव भीमा में एक युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई थी।इसके एक दिन पहले ही पुणे शहर में हुए एल्गार परिषद सम्मेलन के दौरान कथित तौर पर उकसाने वाले भाषण दिये गये थे।
एनआईए अधिकारियों ने कहा है कि जांच में यह स्थापित हुआ है कि स्वामी भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में सक्रिय रूप से संलिप्त थे।
एनआईए ने यह भी आरोप लगाया है कि वह समूह की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिये ‘‘षड्यंत्रकारियों’’ --सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, अरूण फरेरा,वर्णन गोंजाल्वेस, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बदे के संपर्क में थे।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि स्वामी ने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिये एक सहयोगी के मार्फत धन भी प्राप्त किया था।
अधिकारियों ने दावा किया कि इसके अलावा वह भाकपा (माओवादी) के मुखौटा संगठन ‘परसेक्युटेड प्रीजनर्स सोलीडैरिटी कमेटी’ (पीपीएससी) के संयोजक भी हैं।
उन्होंने बताया कि स्वामी के पास से भाकपा (माओवादी) से जुड़े साहित्य, दुष्प्रचार सामग्री तथा संचार से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए थे जो समूह के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिये थे।
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