देश की खबरें | जैन से पूछताछ के दौरान वकील की मौजूदगी की अनुमति के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा ईडी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. धन शोधन मामले में गिरफ्तार किये गए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से पूछताछ के दौरान वकील की मौजूदगी की अनुमति देने वाले निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया।

नयी दिल्ली, दो जून धन शोधन मामले में गिरफ्तार किये गए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से पूछताछ के दौरान वकील की मौजूदगी की अनुमति देने वाले निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन संघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने ईडी के वकील द्वारा याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध को स्वीकार किया और मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन नियत किया।

आम आदमी पार्टी के नेता को 30 मई को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था और निचली अदालत ने 31 मई को उन्हें नौ जून तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया।

जैन को ईडी की हिरासत में भेजते हुए निचली अदालत ने उनकी अर्जी को अनुमति दी थी जिसमें कहा गया था कि आरोपी से जांच/पूछताछ के दौरान उनसे सुरक्षित दूरी पर एक वकील को मौजूद रहने की अनुमति दी जाए, जहां से वह आरोपी को देख सके, लेकिन सुन न सके।

ईडी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निचली अदालत में इसका पुरजोर विरोध किया था। ईडी ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए याचिका दायर की और तत्काल सुनवाई की अनुमति मांगी।

एजेंसी ने कहा कि एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने पूछताछ के दौरान एक वकील की सहायता की अनुमति देने के समान तर्क को खारिज कर दिया।

याचिका में कहा गया, “31 मई, 2022 के विशेष अदालत के आदेश में उस हद तक आक्षेपित निर्देश, कि प्रतिवादी के वकील को जांच/पूछताछ के दौरान उपस्थित रहने की इजाजत है, से व्यथित होकर याचिकाकर्ता वर्तमान याचिका के माध्यम से इस अदालत का दरवाजा खटखटा रहा है।” याचिका में कहा गया कि निचली अदालत का यह निर्देश त्रुटिपूर्ण है।

ईडी ने कहा कि विशेष अदालत ने प्रतिवादी की पूछताछ के दौरान एक वकील की उपस्थिति की प्रार्थना को अनुमति देने में गलती की है, जो वैधानिक शक्तियों के साथ हस्तक्षेप करने के समान है।

याचिका में कहा गया है कि एक वकील की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पूछताछ की वीडियोग्राफी की जा रही है और फुटेज उपलब्ध होगा। इसलिए किसी चिंता की कोई गुंजाइश नहीं है।

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