जरुरी जानकारी | किसानों की बिकवाली कम रहने से बीते सप्ताह खाद्य तेल, तिलहन कीमतों में सुधार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशों में सोयाबीन तेल के दाम बढ़ने और किसानों द्वारा सस्ते में बिकवाली से बचने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी खाद्य तेल-तिलहनों की कीमतों में सुधार देखा गया। ऊंचे भाव के मद्देनजर मांग कमजोर होने से केवल मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में पिछले सप्ताह के मुकाबले गिरावट रही।

नयी दिल्ली, सात मई विदेशों में सोयाबीन तेल के दाम बढ़ने और किसानों द्वारा सस्ते में बिकवाली से बचने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी खाद्य तेल-तिलहनों की कीमतों में सुधार देखा गया। ऊंचे भाव के मद्देनजर मांग कमजोर होने से केवल मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में पिछले सप्ताह के मुकाबले गिरावट रही।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि किसानों द्वारा सस्ते में बिकवाली नहीं करने और मंडियों में आवक पिछले महीने के 10-12 लाख बोरी से मई में घटकर 7.5 लाख बोरी प्रतिदिन रहने से सरसों तेल-तिलहन में सुधार दिखा। किसानों को पिछले साल सरसों तिलहन के 7,000 रुपये क्विंटल के दाम मिले थे जब एमएसपी 5,050 रुपये क्विंटल था। इस बार सरसों का एमएसपी 5,450 रुपये क्विंटल है लेकिन मंडियों में किसानों को सरसों के दाम 4,800-4,900 रुपये क्विंटल मिल रहे हैं। दूसरी ओर सोयाबीन के मामले में पिछले दो साल में किसानों को सोयाबीन उपज के जो दाम मिले थे, उस कीमत की उम्मीद में बिकवाली सीमित रखने से सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में सुधार है।

सूत्रों ने कहा कि तेल संगठन, सोयाबीन तेल प्रसंस्करण संघ (सोपा) ने सोयाबीन किसानों की हालत का जायजा लेने के लिए मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सर्वे किया है और उसने पाया कि सोयाबीन किसान पिछले वर्षों में मिले दाम की तरह इस बार भी लगभग 7,000 रुपये क्विंटल के भाव का इंतजार कर रहे हैं। मौजूदा समय में तो बेहद सस्ते सोयाबीन का भारी आयात हो रखा है जिसकी वजह से किसानों को जो दाम मिल रहे हैं, वह उन्हें काफी कम लग रहा है। हालांकि, मौजूदा मिलने वाला दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक ही है फिर भी पहले के दाम के इंतजार में वे अपनी उपज को रोके हुए हैं। विदेशों में सोयाबीन के दाम लगभग 50-60 डॉलर मजबूत भी हुए हैं।

सूत्रों ने कहा कि सस्ता होने के कारण अगले महीने लगभग 4.5 लाख टन सोयाबीन तेल का रिकॉर्ड आयात होगा जबकि हमारी औसत मासिक जरूरत लगभग 2.5 लाख टन की है। इसी तरह अप्रैल में 2.31 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात हुआ। सूत्रों ने कहा कि अगले महीने देश में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के सूरजमुखी की फसल मंडियों में आयेगी। इस देशी सूरजमुखी तेल की लागत लगभग 150 रुपये किलो बैठेगी लेकिन आयातित सूरजमुखी तेल बंदरगाह पर 88 रुपये किलो मिल रहा है। फिर देशी सूरजमुखी कहां खपेगा? सूरजमुखी का एमएसपी 6,400 रुपये क्विंटल है।

सूत्रों ने कहा कि इस साल खाद्य तेलों के आयात का पुराना रिकॉर्ड टूट सकता है क्योंकि सरसों सहित अन्य देशी तिलहन तो खपेंगे नहीं और तब तेल की कमी को पूरा करने के लिए आयात करना ही विकल्प रह जायेगा। लेकिन इन सबके बीच किसानों का क्या होगा और उनके भरोसे को कैसे बहाल करना है इसके बारे में सभी को सोचना होगा। सस्ते आयातित तेलों के आगे देशी तेल-तिलहन के न खपने के बीच साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने भी अभी छह अप्रैल तक सरसों डीआयल्ड केक (डीओसी) के निर्यात के आंकड़े नहीं जारी किये हैं जबकि आमतौर पर अधिकतम महीने की पहली दूसरी तारीख को आंकड़े जारी कर दिये जाते हैं। इस आंकड़े से पता चलता कि सरसों की कितनी पेराई हुई है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार की पहल के बाद तेल कंपनियों ने अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कमी की है लेकिन कमी के बाद भी जो एमआरपी है, वह अधिक ही है। सूत्रों ने कहा कि मूंगफली तेल को छोड़कर बाकी सभी खाद्य तेलों का अधिकतम एमआरपी 110-118 रुपये लीटर से अधिक नहीं होना चाहिये जिसमें प्रीमियम गुणवत्ता का खाद्य तेल भी शामिल है। जिस तरह तेल कीमतों के महंगे होने पर सरकार ने तेल उद्योग के सभी कारोबारियों को एक पोर्टल पर अपने खाद्य तेल स्टॉक का खुलासा करने को कहा था, उसी तरह एमआरपी की सतत निगरानी के लिए सिर्फ कंपनियों और पैकरों के लिए पोर्टल पर अपने एमआरपी का खुलासा करवाना चाहिये। इससे सरकार के साथ साथ कारोबरियों और उपभोक्ताओं को एमआरपी की सही जानकारी उपलब्ध रहेगी।

सूत्रों ने कहा कि ‘प्रीमियम क्वॉलिटी’ वाले चावल भूसी तेल (राइस ब्रायन आयल) का थोक दाम कोलकाता में 90 रुपये लीटर, पंजाब में 86 रुपये लीटर, आंध्र प्रदेश में 88 रुपये लीटर (अधिभार सहित) है। लेकिन इसी तेल का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 160-170 रुपये लीटर यानी लगभग दोगुना है। यानी पैकर सस्ते दाम में खरीद कर लगभग दोगुने दाम में बेच रहे हैं। इससे मंहगाई कैसे थमेगी, इसके बारे में सरकार को फैसला करना होगा।

सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 300 रुपये सुधरकर 5,150-5,9250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दादरी तेल 450 रुपये सुधरकर 9,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की घानी तेल का भाव 85 रुपये सुधरकर 1,625-1,705 रुपये और सरसों कच्ची घानी का भाव 75 रुपये सुधरकर 1,625-1,735 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का भाव क्रमश: 175-175 रुपये सुधरकर क्रमश: 5,385-5,435 रुपये और 5,135-5,215 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव क्रमश: 400 रुपये, 350 रुपये और 500 रुपये सुधरकर क्रमश: 10,650 रुपये, 10,350 रुपये और 9,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

सुधार के आम रुख के विपरीत महंगा होने के कारण मांग कमजोर रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 50 रुपये, 100 रुपये और 15 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,700-6,760 रुपये, 16,550 रुपये और 2,505-2,770 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

मजबूती के आम रुख के अनुरूप कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 300 रुपये बढ़कर 8,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 450 रुपये बढ़कर 10,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन कांडला का भाव भी 450 रुपये के सुधार के साथ 9,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी तरह बिनौला तेल भी समीक्षाधीन सप्ताह में 500 रुपये का सुधार दर्शाता 9,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

राजेश

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