'HPZ Token' Case: ED ने ‘एचपीजेड टोकन’ मामले में भारत, दुबई में चीन से जुड़ी कंपनियों की संपत्तियां कुर्क कीं
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने ‘एचपीजेड टोकन’ मामले में धन शोधन की जांच के तहत भारत और दुबई में नयी संपत्तियां कुर्क की हैं, जिनमें चीन से जुड़ी कुछ मुखौटा कंपनियों की संपत्तियां भी शामिल हैं. इस मामले में निवेश धोखाधड़ी के जरिये कई निवेशकों को कथित तौर पर ठगा गया था.
नयी दिल्ली, 28 नवंबर : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने ‘एचपीजेड टोकन’ मामले में धन शोधन की जांच के तहत भारत और दुबई में नयी संपत्तियां कुर्क की हैं, जिनमें चीन से जुड़ी कुछ मुखौटा कंपनियों की संपत्तियां भी शामिल हैं. इस मामले में निवेश धोखाधड़ी के जरिये कई निवेशकों को कथित तौर पर ठगा गया था. ईडी ने एक बयान में कहा कि इन संपत्तियों की कीमत 106.20 करोड़ रुपये है. इससे पहले भी इस मामले में संपत्तियां कुर्क की गई थीं. केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि ये संपत्तियां विभिन्न व्यक्तियों और कंपनियों की हैं, जिनमें चीन से जुड़ी छद्म कंपनियां भी शामिल हैं, जो ‘एचपीजेड टोकन’ ऐप और ऑनलाइन गेमिंग एवं सट्टेबाजी वेबसाइट के माध्यम से निवेशकों को उनके निवेश को दोगुना करने के बहाने सैकड़ों करोड़ रुपये ठगने में शामिल पाई गई हैं.
इस मामले में मार्च में ईडी द्वारा दाखिल आरोपपत्र में कुल 299 लोगों, कंपनियों को आरोपी बनाया गया. इनमें 76 चीन नियंत्रित कंपनियां हैं, जिनमें 10 निदेशक चीनी मूल के हैं जबकि दो कंपनियां अन्य विदेशी नागरिकों द्वारा नियंत्रित हैं. धन शोधन का यह मामला कोहिमा पुलिस की साइबर अपराध इकाई की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें विभिन्न आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. इन आरोपियों पर बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी के जरिये भारी रिटर्न का वादा करके निवेशकों को ठगने का आरोप है. यह भी पढ़ें : दिल्ली : पीवीआर के पास विस्फोट के बाद आतिशी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा
पुलिस ने कहा कि निवेशकों को ‘‘धोखा’’ देने के लिए आरोपियों ने ‘एचपीजेड टोकन’ नामक मोबाइल फोन ऐप का इस्तेमाल किया. एजेंसी ने कहा कि अपराध की आय को छिपाने के उद्देश्य से ‘‘छद्म’’ निदेशकों वाली विभिन्न ‘‘फर्जी कंपनियों’’ द्वारा बैंक खाते और मर्चेंट आईडी खोले गए थे. यह दावा किया गया कि ये धनराशि अवैध ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी तथा बिटकॉइन माइनिंग के लिए निवेश को लेकर ‘‘धोखाधड़ी’’ से प्राप्त की गई थी. ईडी ने कहा था कि 57,000 रुपये के निवेश के लिए तीन महीने तक प्रतिदिन 4,000 रुपये का रिटर्न देने का वादा किया गया था, लेकिन केवल एक बार ही पैसे का भुगतान किया गया तथा उसके बाद आरोपियों ने निवेशकों से और धनराशि की मांग की. इस मामले में ईडी द्वारा देशव्यापी तलाशी ली गई, जिसके परिणामस्वरूप अब तक 603 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति और जमा जब्त की गई.