नयी दिल्ली, 27 दिसंबर देश में विदेशी तेलों के मुकाबले घरेलू हल्के तेलों की मांग बेहतर रहने से गतसप्ताहांत घरेलू तेलों में भाव मजबूती में रहे लेकिन विदेशों में भाव ऊंचे बोले जाने से आयातित कच्चा पॉम तेल और सोयाबीन डीगम के भाव भी ऊंचे रहे। बाजार सूत्रों का कहना है कि सरकार को घरेलू तेल- तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने की आवश्यकता है।
उत्पादक किसानों की सस्ते में बिकवाली से बचने तथा विदेशों में हल्के तेलों की मांग आने से मूंगफली गिरी और मूंगफली तेल भी मजबूत हुए। आयातित तेलों के मुकाबले 5-15 प्रतिशत सस्ता होने के कारण देश में सरसों और बिनौला तेल की मांग बढ़ी है।
बाजार सूत्रों के अनुसार मौजूदा आयात शुल्क मूल्य के हिसाब से, मार्जिन सहित और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भुगतान के बाद पंजाब में आयातित सोयाबीन डीगम का थोक भाव 129 रुपये किलो बैठता है। इसके मुकाबले देश में बिनौला तेल का भाव है 111 रुपये किलो बोला जा रहा है। इसी प्रकार सभी खर्च मिलाकर उत्तर भारत में सोयाबीन रिफाइंड 132 रुपये किलो पड़ता है जबकि इसके मुकाबले सरसों तेल का थोक भाव है 121.50 रुपये किलो पड़ता है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि यदि सरकार को खाद्य तेलों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो उसे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये। सरकार ने हाल में विदेशों से तेलों का आयात सस्ता करने के लिये कच्चा पाम तेल (सीपीओ) पर आयात शुल्क में 90 डॉलर प्रति टन की कमी की थी। इसका असर यह हुआ कि इसके तुरंत बाद इंडोनेशिया में निर्यात शुल्क और लेवी बढ़ी दी गई। मलेशिया ने भी अपने निर्यात शुल्क में आठ प्रतिशत की वृद्धि की है। डेढ दो महीना पहले जो सीपीओ कांडला पहुंच भाव 870 डालर प्रति टन पर था आज वह 1030 डालर प्रति टन पर पहुंच चुका है। इसी प्रकार सोयाबीन डीगम भी 1151 डालर प्रति टन कांडला पहुंच भाव चल रहा है जो कि दो माह पहले 950 डालर का भाव था। इससे देश को खाद्य तेलों पर बड़ी मात्रा में बेशकीमती विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में इस साल खाद्य तेलों का आयात एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच जायेगा।
स्थानीय मंडी में गत सप्ताहांत सरसों इससे पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 100 रुपये सुधरकर 6,180-6,230 रुपये क्विन्टल और सरसों दादरी तेल 100 रुपये बढ़कर 12,150 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी के भाव 15-15 रुपये सुधरकर क्रमश: 1,865-2,015 रुपये और 1,985-2,095 रुपये प्रति टिन रहे। वहीं, मांग निकलने से मूंगफली दाना सप्ताहांत में 50 रुपये सुधरकर 5,435-5,500 रुपये क्विन्टल और मूंगफली गुजरात तेल का भाव 100 रुपये बढ़कर 13,600 रुपये क्विन्टल पर पहुंच गया।
सरसों तेल में जहां गत सप्ताह 100 रुपये की वृद्धि हुई वहीं कच्चा पॉम तेल 300 रुपये क्विंटल बढ़कर 9,650 रुपये और रिफाइंड पामोलिन दिल्ली का भाव 400 रुपये बढ़कर 11,250 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया। आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता होने के कारण बिनौला तेल भी 200 रुपये सुधरकर (बिना जीएसटी के) 10,450 रुपये क्विंटल बोला गया।
बाजार जानकारों के मुताबिक सरकार को हरियाणा, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूरजमुखी की बिजाई पर ध्यान देना चाहिये। आगामी फरवरी, मार्च में इसकी बिजाई होती है। पिछले कुछ वर्षों पहले इन राज्यों में सूरजमुखी की पैदावार काफी होती थी जो कि अब कम रह गई है। वहीं उत्तर प्रदेश के सीतापुर और हरदोई में मूंगफली की पैदावार भी अब नगण्य रह गई है। हल्द्धानी में सोयाबीन की पैदावार भी अब नाममात्र की रह गई है। इसी प्रकार उ.प़, हरियाणा और पंजाब के कुछ इलाकों में लाहा, तोरिया (सरसों) की पैदावार होती थी वह भी करीब करीब समाप्त हो गई है।
सप्ताह के दौरान मक्का खल का भाव मांग बढ़ने से 25 रुपये बढ़कर 3,525 रुपये क्विंटल हो गया। दूध उत्पादक किसानों के बीच मक्का खल की मांग बढ़ने से भाव सुधरे हैं। बाजार सूत्रों का कहना है कि गुजरात की तरह उत्तर भारत के राज्यों में भी मक्का खल की तरफ दुग्ध उत्पादक किसानों का रुझान तेजी से बढ़ा है।
राजेश
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