विदेश की खबरें | क्या आईयूडी के इस्तेमाल से स्तन कैंसर होता है?

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श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

पर्थ, 18 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) एक नये अध्ययन में हार्मोन युक्त अंतर्गर्भाशयी उपकरण (आईयूडी) के इस्तेमाल और स्तन कैंसर के जोखिम के बीच संबंध पाए गए हैं।

हार्मोन युक्त आईयूडी 'टी' के आकार का एक उपकरण होता है, जो गर्भाशय में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन का स्त्राव कर अनचाहा गर्भ ठहरने से रोकता है।

अध्ययन के नतीजे अहम हैं, लेकिन मीडिया में आई खबरों में आईयूडी के इस्तेमाल से स्तन कैंसर के खतरे में भारी वृद्धि के दावे अनावश्यक चिंता पैदा कर सकते हैं।

आइए, अनचाहे गर्भ से बचने के लिए आईयूडी का सहारा लेने वाली महिलाओं के लिए अध्ययन के निष्कर्ष के वास्तविक मायनों के बारे में बात करें।

आईयूडी क्या होता है

-आईयूडी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाले गर्भनिरोधक उपकरण हैं। इन्हें गर्भाशय में प्रतिरोपित किया जाता है, जिससे अनचाहे गर्भ को रोकने में मदद मिलती है।

पुराने आईयूडी में गर्भनिरोधक घटक के रूप में तांबा मौजूद होता था, जो शुक्राणुओं को अंडाणु के निषेचन से रोकता था। जबकि, नये हार्मोन युक्त आईयूडी गर्भाशय में लेवोनोर्जेस्ट्रल नामक कृत्रिम प्रोजेस्टेरोन का स्त्राव करते हैं। लेवोनोर्जेस्ट्रल शरीर में मौजूद प्राकृतिक प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की तरह काम करता है।

तांबा और हार्मोन युक्त आईयूडी अनचाहा गर्भ रोकने में कई वर्षों से प्रभावी साबित हो रहे हैं। दोनों को हटाने के बाद से प्रजनन क्षमता आसानी से बहाल हो जाती है।

लेकिन हार्मोन युक्त आईयूडी का अतिरिक्त फायदा यह है कि इनके इस्तेमाल से मासिक धर्म में ज्यादा रक्तस्राव या दर्द नहीं होता। कई महिलाओं ने तो गर्भनिरोधक की जरूरत न होने के बावजूद इसी कारण से हार्मोन युक्त आईयूडी लगवाया है।

आईयूडी के प्रतिरोपण के शुरुआती महीनों में कई महिलाओं को दर्द और स्पॉटिंग (योनि से बेहद हल्का रक्तस्राव) की शिकायत हो सकती है। लेकिन महिलाएं आईयूडी को गर्भनिरोधन के अन्य उपायों के मुकाबले ज्यादा स्वीकार्य मानती हैं और लगातार इनका इस्तेमाल कर रही हैं।

नये अध्ययन में क्या सामने आया

-डेनमार्क के शोधकर्ताओं के नये अध्ययन में हार्मोन युक्त अंतर्गर्भाशयी उपकरण (आईयूडी) के इस्तेमाल और स्तन कैंसर के जोखिम के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य पंजी के डेटा का विश्लेषण किया गया।

शोधकर्ताओं ने दो दशक के दौरान हार्मोन युक्त आईयूडी का इस्तेमाल करने वाली लगभग 80,000 महिलाओं पर नज़र रखी। उन्होंने इन महिलाओं की तुलना उक्त अवधि में पैदा हुई ऐसी 80,000 महिलाओं से की, जिन्होंने हार्मोन युक्त आईयूडी का उपयोग नहीं किया था।

चूंकि, हार्मोन युक्त आईयूडी का इस्तेमाल करने वाले समूह में स्तन कैंसर की चपेट में आई महिलाओं की संख्या 720 थी, जबकि इसका उपयोग न करने वाले समूह में 900 मामले दर्ज किए थे, इसलिए आपको लग सकता है कि हार्मोन युक्त आईयूडी स्तन कैंसर से बचाव में कारगर हैं। लेकिन हकीकत इससे जुदा है।

आदर्श रूप से, जब शोधकर्ता दवाओं के असर का आकलन करते हैं, तो वे एक ‘यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण’ करते हैं, जिसमें व्यक्ति को कौन-सा उपचार दिया जाना है, यह निर्धारित करने के लिए वे संभावनाओं पर निर्भर करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जिस उपचार के असर का पता लगाया जा रहा है, उसके लिए दोनों समूह बहुत हद तक समान हैं। लेकिन डेनमार्क के शोधकर्ताओं के अध्ययन में ऐसा नहीं हुआ।

इसके बजाय शोधकर्ताओं ने उन महिलाओं पर अध्ययन किया, जिन्होंने हार्मोन युक्त आईयूडी प्रतिरोपित कराने का फैसला किया था और उनकी तुलना उन महिलाओं से की, जिन्होंने ऐसा नहीं किया था। इसका मतलब यह है कि दोनों समूह कई रूपों से अलग थे।

ऐसे में हार्मोन युक्त आईडी का इस्तेमाल करने और न करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम अलग नजर आ सकता है, आईयूडी के इस्तेमाल की वजह से नहीं, बल्कि अन्य भिन्नताओं के कारण। मिसाल के तौर पर, ज्यादा पढ़ी-लिखी महिलाओं के आईयूडी का विकल्प चुनने और एहतियातन स्तन कैंसर की जांच कराने की संभावना ज्यादा हो सकती है, जिसमें उनके बीमारी से पीड़ित होने की बात सामने आए।

शोधकर्ताओं ने दोनों समूहों के बीच कई अंतरों (शैक्षणिक योग्यता, उम्र, बच्चों की संख्या, कुछ दवाओं के इस्तेमाल और स्वास्थ्य स्थिति सहित अन्य) को ध्यान में रखते हुए अपने परिणामों को ‘समायोजित’ किया। इस ‘समायोजन’ के बाद संख्याएं एक अलग दिशा की ओर इशारा करने लगीं : हार्मोन युक्त आईयूडी का उपयोग करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर के उच्च जोखिम की ओर।

हालांकि, स्तन कैंसर का खतरा कई और कारकों से निर्धारित होता है, मसलन-वजन, शराब का सेवन, धूम्रपान और शारीरिक सक्रियता। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में इन कारकों को शामिल नहीं किया।

कितना बड़ा जोखिम

-शोधकर्ता दो तरह से जोखिम बयां करते हैं : ‘सापेक्षिक’ और ‘पूर्ण’ जोखिम। यहां, पांच साल तक आईयूडी का उपयोग करने वाली महिलाओं में ‘सापेक्षिक’ जोखिम वृद्धि लगभग 30 फीसदी, 5 से 10 वर्षों के बाद 40 फीसदी और 10 से 15 वर्षों के बाद 80 फीसदी थी।

यह बहुत बड़ा जोखिम प्रतीत होता है। हालांकि, ये आंकड़े आईयूडी का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर के खतरे की तुलना गैर-उपयोगकर्ताओं में जोखिम से करते हैं, लेकिन वे हमें उन महिलाओं के अनुपात के बारे में नहीं बताते हैं, जिन्हें यह बीमारी होगी। इसके लिए, हमें ‘पूर्ण’ जोखिम वृद्धि पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

‘पूर्ण’ जोखिम वृद्धि दर बहुत कम है। यह अध्ययन संकेत देता है कि हर 10,000 महिलाओं पर हम पांच साल तक के उपयोग के बाद स्तन कैंसर के 14 अतिरिक्त मामले देख सकते हैं, 5 से 10 साल के उपयोग के बाद 29 मामले और 10 से 15 साल के उपयोग के बाद 71 मामले देख सकते हैं। ‘पूर्ण’ जोखिम के लिहाज से सभी आईयूडी उपयोगकर्ताओं के अनुपात के रूप में वृद्धि दर 1 प्रतिशत से कम है।

हमारे लिए क्या मायने हैं

-हार्मोन युक्त आईयूडी के इस्तेमाल से स्तन कैंसर का जोखिम संभवतः बहुत कम है। यह वास्तविकता के बजाय एक सांख्यिकीय भ्रम हो सकता है।

और अगर इसका वास्तविक जोखिम हो भी, तो भी अन्य कैंसर से सुरक्षा के जरिये इसकी भरपाई की जा सकती है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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