विदेश की खबरें | क्या ये लोकप्रिय एंटी-एजिंग तत्व वाकई काम करते हैं?

कील (ब्रिटेन), 13 मई (द कन्वरसेशन) बुढ़ापे की रफ्तार पर लगाम लगाने की जद्दोजहद में जुटे लोगों के लिए यह कभी भी आज जितना आसान नहीं रहा है। इतिहास गवाह है कि लोगों ने झुर्रियों को दूर रखने के लिए तरह-तरह की अजीबोगरीब स्किनकेयर पद्धतियां आजमाई हैं, जिनमें क्लियोपेट्रा की तरह कथित तौर पर गधी के दूध से स्नान करना और महारानी एलिजाबेथ प्रथम के समय से महारानियों द्वारा चेहरे पर सीधे पारा लगाना शामिल है।

आधुनिक युग ने भले ही कई अजीबोगरीब एंटी-एजिंग (बुढ़ापा रोधी) स्किनकेयर उपायों, मसलन प्लेसेंटा और वैंपायर फेशियल का इस्तेमाल देखा हो, लेकिन इस दिशा में प्रयुक्त ज्यादातर नवीतम पद्धतियां विज्ञान पर आधारित हैं।

हालांकि, एंटी-एजिंग अवयवों की सूची में पेप्टाइड, एंटीऑक्सीडेंट और विभिन्न अम्लों (एसिड) की मौजूदगी बेहद आम होने के मद्देनजर विज्ञान की पृष्ठभूमि न रखने वाले लोगों के लिए यह पता लगाना बेहद मुश्किल है कि वे अपनी किट में वाकई विज्ञान समर्थित उत्पाद शामिल कर रहे हैं या फिर चतुर मार्केटिंग का शिकार हो रहे हैं।

यहां हम मौजूदा समय में ज्यादातर एंटी-एजिंग उत्पादों में पाए जाने वाले तीन प्रमुख अवयवों पर नजर डाल रहे हैं और यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इन्हें लेकर किए जाने वाले दावों में कितनी सच्चाई है :

विटामिन-सी

आमतौर पर विटामिन-सी से लैस उत्पाद त्वचा की रंगत में ‘निखार’ लाने और कोलाजेन के उत्पादन को बढ़ावा देने का दावा करते हैं। हमारी त्वचा की बीच की परत (डर्मिस) कोलाजेन और इलास्टिन का उत्पादन करती है, जो मिलकर त्वचा को लचीलापन देते हैं। लेकिन, बढ़ती उम्र के साथ त्वचा में कोलाजेन और इलास्टिन का उत्पादन घट जाता है, जिसके चलते झुर्रियों की शिकायत सताने लगती है।

त्वचा में विटामिन-सी की आपूर्ति करना थोड़ा जटिल है। यह इसलिए क्योंकि त्वचा की बाहरी परत (एपिडर्मिस) पानी के लिए अवरोधक का काम करती है। चूंकि, विटामिन-सी पानी में घुलनशील एक विटामिन है, इसलिए ऐसे उत्पाद का निर्माण करना मुश्किल साबित हो सकता है, जो विटामिन-सी को सीधे त्वचा में पहुंचाने में सक्षम हो।

हालांकि, कुछ अनुसंधान दर्शाते हैं कि विटामिन-सी की 5% से अधिक सांद्रता त्वचा पर काम कर सकती है। मिसाल के तौर पर 50 से 60 साल की दस महिलाओं पर गिए गए एक अनुसंधान में पाया गया कि लगातार छह महीने तक रोजाना हाथों पर 5% विटामिन-सी से लैस क्रीम लगाने से त्वचा में कोलाजेन का उत्पादन बढ़ जाता है।

कुछ अन्य अनुसंधानों से पता चला है कि त्वचा पर रोजाना विटामिन-सी लगाने से अल्ट्रा वायलेट विकिरणों के संपर्क में आने के बाद से उपजी हाइपरपिग्मेंटेशन (धब्बे या चक्कते पड़ना) की समस्या में उल्लेखनीय कमी आती है।

हाइलुरॉनिक एसिड

हाइलुरॉनिक एसिड मानव शरीर में पैदा होने वाला एक प्राकृतिक तत्व है। यह आमतौर पर आंखों में मौजूद द्रव्य के अलावा जोड़ों और ऊतकों के बीच पाया जाता है। अब कई स्किनकेयर उत्पाद इस दावे के साथ हाइलुरॉनिक एसिड का इस्तेमाल कर रहे हैं कि यह एक बेहतरीन ‘मॉश्चराइजर’ के रूप में काम करता है और झुर्रियां घटाने में मददगार साबित हो सकता है।

2011 में 30 से 60 साल की 76 महिलाओं पर किए गए एक शोध में देखा गया था कि लगातार दो महीने तक दिन में दो बार 1% हाइलुरॉनिक एसिड से लैस क्रीम का इस्तेमाल करने से त्वचा में नमी के स्तर में तो सुधार आता ही है, साथ ही उसका लचीलापन भी बढ़ जाता है। हालांकि, त्वचा के रूखेपन और झुर्रियों की मौजूदगी में कमी सिर्फ उन्हीं क्रीम के जरिये आई, जिनमें हाइलुरॉनिक एसिड के बेहद सूक्ष्म अणु मौजूद थे। यह इसलिए क्योंकि त्वचा के लिए हाइलुरॉनिक एसिड के बड़े आकार के अणुओं को सोखना ज्यादा मुश्किल हो सकता है।

लेकिन, हाइलुरॉनिक एसिड का इस्तेमाल करने वाली ज्यादातर महंगी क्रीम उनमें मौजूद अणुओं का आकार नहीं बतातीं, जिससे खरीदारी से जुड़ा निर्णय लेने में मुश्किल होती है।

रेटिनॉल

आजकल रेटिनॉल आधारित उत्पाद बेहद लोकप्रिय हैं। इन्हें आमतौर पर फोटो-एजिंग (सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट विकिरणों से त्वचा को होने वाले दीर्घकालिक नुकसान, मसलन- हाइपरपिग्मेंटेशन और झुर्रियों की शिकायत) के दुष्प्रभाव घटाने में बेहद असरदार बताकर प्रचारित किया जाता है।

रेटिनॉल विटामिन-ए से प्राप्त एक यौगिक है। त्वचा द्वारा सोखे जाने के बाद यह रेटिनॉइक एसिड में तब्दील हो जाता है। इसे कोलाजेन के उत्पादन के साथ-साथ मृत कोशिकाओं को हटाने और उन्हें नई कोशिकाओं से बदलने की क्षमता बढ़ाने में मददगार पाया गया है। नतीजतन रेटिनॉल झुर्रियों और हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या घटाने में कारगर साबित होता है।

मानव कोशिकाओं, त्वचा के नमूनों और इंसानों पर किए गए शोध में रेटिनॉल से लैस उत्पादों को त्वचा में सुधार लाने में असरदार पाया गया है। उदाहरण के लिए, इंसानों पर किए गए एक शोध में देखा गया कि लगातार छह महीने तक रोजाना दिन में तीन बार 0.4% रेटिनॉल युक्त उत्पाद लगाने से झुर्रियों की मौजूदगी में उल्लेखनीय कमी आती है।

किन बातों का ख्याल रखें

अगर आप कोई एंटी-एजिंग स्किनकेयर उत्पाद खरीदने की सोच रहे हैं तो कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है :

सबसे पहले यह देखें कि आपको उत्पाद में मौजूद किसी अवयव से एलर्जी तो नहीं है या फिर संबंधित उत्पाद आपकी त्वचा के हिसाब से ठीक है या नहीं। मिसाल के तौर पर अगर आपकी शुष्क या संवेदनशील त्वचा है तो रेटिनॉल आपके लिए उपयुक्त साबित नहीं हो सकता है, क्योंकि यह धूप के प्रति त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ा देता है।

आपको उत्पाद में मौजूद अवयवों की सांद्रता पर भी नजर दौड़ानी चाहिए। साथ ही उत्पादक द्वारा दिए गए सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। वैसे, झुर्रियों और दाग-धब्बे सहित स्वस्थ त्वचा पाने के लिए स्वस्थ दिनचर्या अपनाना, संतुलित आहार लेना और पर्याप्त नींद हासिल करना भी उतना ही जरूरी है।

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