नयी दिल्ली, 13 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह राष्ट्रपति को तमिलनाडु विधानसभा में दो बार पारित और राज्यपाल आर.एन रवि द्वारा उनके पास भेजे गए विधेयकों पर कार्रवाई करने से रोकना नहीं चाहती है।
शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार के वकील और राज्यपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलों का संज्ञान लिया कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और राज्यपाल रवि शीर्ष अदालत के कहने पर मिलने पर सहमत हो गए हैं ताकि राज्य विधानमंडल द्वारा पारित होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने वाले विधेयकों पर गतिरोध को हल करने का प्रयास किया जा सके।
द्रमुक सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से कहा, "न तो चाय और न ही कोई कड़क पेय पदार्थ इस मुद्दे को हल कर सकता है। यह पूरी तरह से एक संवैधानिक प्रश्न है जिसे इस अदालत को तय करना है।"
मुख्य प्रश्न यह है कि क्या किसी राज्य का राज्यपाल विधायिका द्वारा पारित और उसके द्वारा पुनः पारित किए गए विधेयकों को राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेज सकता है या नहीं।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सिंघवी ने पीठ से एक आदेश पारित करने का आग्रह किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्दे का फैसला होने तक राष्ट्रपति उनके पास भेजे गए विधेयकों पर कोई निर्णय न लें।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "हम भारत के राष्ट्रपति पर रोक नहीं लगाना चाहते। यह अच्छा नहीं लगता। अगर विधेयक पहले ही राष्ट्रपति के पास जा चुके हैं, तो हम राष्ट्रपति से कार्रवाई नहीं करने के लिए नहीं कह सकते।"
इसके बाद पीठ ने अटॉर्नी जनरल से मामले को देखने को कहा और राज्य सरकार की याचिका पर जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई तय की।
पीठ ने कहा, “ इस मामले में जो करना होगा हम करेंगे, लेकिन इस बीच वे (राज्यपाल और मुख्यमंत्री) मिलते क्यों नहीं? मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच कुछ माध्यम खुले होने चाहिए। कम से कम उन्हें आपस में बातचीत तो शुरू करने दीजिए। हम विवाद सुलझा लेंगे। शासन का कार्य चलना चाहिए।”
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि किसी राज्य का राज्यपाल विधायिका द्वारा पारित और उसके द्वारा दोबारा पारित विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए नहीं भेज सकता है। न्यायालय ने ऐसे 10 लंबित विधेयकों पर गतिरोध खत्म करने के प्रयास के तहत तमिलनाडु के राज्यपाल से मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने को कहा था।
रवि और स्टालिन के बीच कई मुद्दों पर तनातनी की स्थिति बनी हुई है।
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