देश की खबरें | स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी के बिना डॉक्टर ई सिगरेट पर अनुसंधान न करें: एनएमसी
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नयी दिल्ली, 17 दिसंबर भारतीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने उससे संबद्ध चिकित्सकों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जरूरी मंजूरी हासिल किये बगैर ई-सिगरेट तथा उष्मा प्रसंस्करित तंबाकू उत्पादों (एचटीपी) पर कोई अनुसंधान गतिविधियां नहीं शुरू करने या उनसे नहीं जुड़ने का निर्देश दिया है।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के अधिकारी डॉ. अतुल गोयल ने इस मुद्दे को उठाते हुए एनएमसी को पत्र लिखे जाने के बाद यह कदम उठाया गया है।
गोयल ने इस पत्र में आयोग से एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से जुड़े स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए जरूरी निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था।
एनएमसी ने 15 दिसंबर को एक सार्वजनिक नोटिस जारी करते हुए स्वास्थ्य पेशेवरों से गोयल के दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा है।
आठ दिसंबर को लिखे पत्र में गोयल ने कहा था, ‘‘ इलेक्ट्रोनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) तथा उष्मा प्रसंस्करित तंबाकू उत्पादों पर अनुसंधान में स्वास्थ्य पेशेवरों से जुड़े एक अति महत्वपूर्ण विषय के समाधान के लिए मैं लिख रहा हूं।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि इलेक्ट्रोनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, भंडारण एवं विज्ञापन) प्रतिषेध अधिनियम 2019 (पीईसीए) के तहत सरकार ने भारत में ई-सिगरेट एवं एचटीपी एवं ऐसे उपकरणों (उत्पादों) के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी है।
एनएमसी के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. बी एन गंगाधर को भेजे गये पत्र में कहा गया है, ‘‘ उपरोक्त के आलोक में यह जरूरी है कि एनएमसी और आईएमए से जुड़े स्वास्थ्य पेशेवर डीजीएचएस तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति हासिल किये बगैर ई-सिगरेट और एचटीपी पर अनुसंधान गतिविधियां शुरू न करें या और न ही उनसे जुड़ें।’’
इस पत्र की एक प्रति आईएमए अध्यक्ष डॉ. शरद कुमार अग्रवाल को भेजी गयी है।
राजकुमार रंजन
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