उत्तराखंड में जिलाधिकारियों को मानवीय, व्यवहारिक आधार पर रियायत देने को कहा गया
जमात

जिलाधिकारियों समेत शासन के उच्चाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी की समस्याओं के समाधान में मानवीय व व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाए ।

शादी विवाह में दूल्हा और दुल्हन दोनों पक्षों की व्यावहारिकता देखने पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रकरण अंतर्जनपदीय भी हो सकते हैं और विवाह के लिए केन्द्र सरकार के सामाजिक दूरी व अन्य निर्देशों का अनुपालन करते हुए अनुमति प्रदान की जाए।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि लॉकडाउन की वजह से रिश्तेदारों के घर फंसे लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद उन्हें ग्रीन कैटेगरी के जिलों में जाने की अनुमति प्रदान कर दी जाए । इसके अलावा, 14 दिन के पृथकवास अवधि पूरा करने वाले लोगों को भी स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही उन्हें भेजे जाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए ।

रावत ने कहा कि काश्तकारों के व्यापक हित में आम व लीची के सीजन के दृष्टिगत इसे क्रय करने हेतु आने वाले ठेकेदारों को भी आवश्यक चिकित्सा सुरक्षा जांच के बाद आवागमन की सुविधा प्रदान की जाए।

उन्होंने मटर की खेती करने वाले किसानों के हित में फ्रोजन मटर की प्रोसेसिंग करने वाले उद्योगों को भी प्रोत्साहित करने तथा गर्मी व सर्दी के मौसम में प्रदेश के सीमांत जिलों—उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ में माइग्रेट होने वाले लोगों के आवागमन को भी अनुमति देने के निर्देश दिए ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के कारण प्रदेश में लौटे युवाओं की बडी संख्या को देखते हुए एक प्रोफॉर्मा तैयार किया गया है जिसमें उनकी दक्षता आदि का पूरा विवरण तैयार किया जाना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए 30 हजार आवेदन भेजे जा चुके हैं और यह प्रक्रिया भविष्य की योजना तैयार करने में मददगार हो सकेगी ।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)