गुवाहाटी, पांच अप्रैल कांग्रेस के सदस्यों ने असम समझौता लागू किए जाने के संबंध में सरकार के जवाब पर असंतोष जताते हुए बुधवार को राज्य विधानसभा से वाकआउट किया।
विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने असम समझौते के कार्यान्वयन की प्रगति को लेकर सवाल किया। लंबे आंदोलन के बाद असम समझौते पर अगस्त 1985 में हस्ताक्षर किए गए थे।
सैकिया जानना चाहते थे कि राज्य में अवैध विदेशी लोगों के निर्धारण के लिए किस वर्ष को चुना गया है क्योंकि असम समझौते में इसके लिए 25 मार्च, 1971 की तारीख तय की गई है जबकि संशोधित नागरिकता कानून में 31 दिसंबर, 2014 की तारीख निर्धारित की गई है।
असम समझौता कार्यान्वयन मंत्री अतुल बोरा ने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया और कहा, ‘‘संशोधित नागरिकता कानून केंद्र सरकार के तहत है और हम इसका जवाब नहीं दे सकते।’’
समझौते को लागू करने में कांग्रेस की गंभीरता पर सवाल करते हुए बोरा ने कहा, "सैकिया को अपने विवेक और अपने पार्टी मुख्यालय से पूछना चाहिए, क्योंकि उनकी पार्टी लंबे समय तक सत्ता में थी।"
बोरा ने जोर दिया कि राज्य सरकार खंड 6 सहित समझौते को लागू करने के लिए गंभीर है। इस खंड में मूल निवासियों के लिए संवैधानिक सुरक्षा से जुड़े प्रावधान हैं।
बाद में, कांग्रेस विधायक जाकिर हुसैन सिकदर ने विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए एक बार फिर तिथि का मुद्दा उठाया। इस पर बोरा ने कहा कि उनकी पार्टी को समझौते के संबंध में सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है।
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने सदन से वाकआउट किया।
इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने भी समझौते के प्रति कांग्रेस की ‘‘गंभीरता’’ को लेकर संदेह जताया। उन्होंने दावा किया, "मैंने सात साल तक युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में, सभी प्रमुख बैठकों में भाग लिया था। लेकिन एक बार भी समझौते पर चर्चा नहीं हुई।"
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