नयी दिल्ली, 27 दिसंबर डिश टीवी के शेयरधारकों ने पिछले सप्ताह हुई कंपनी की असाधारण आम बैठक (ईजीएम) में एक हैरान करने वाले घटनाक्रम में चार स्वतंत्र निदेशकों की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया। इससे डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवा प्रदाता के निदेशक मंडल में केवल एक निदेशक रह गया था।
इसके बाद कंपनी ने उसी दिन बोर्ड में दो नए लोगों की नियुक्ति की, क्योंकि निदेशकों की संख्या वैधानिक न्यूनतम संख्या तीन से कम हो गई थी। 22 दिसंबर को आयोजित ईजीएम में डिश टीवी के शेयरधारकों ने स्वतंत्र निदेशकों शंकर अग्रवाल, आंचल डेविड, राजेश साहनी और वीरेंद्र कुमार टागरा की नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति के चार प्रस्तावों को खारिज कर दिया।
इन प्रस्तावों को कुल वोट का लगभग 28 प्रतिशत ही मिल सका और इसे खारिज कर दिया गया।
डिश टीवी द्वारा शेयर बाजार को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘प्रस्ताव संख्या एक से चार ईजीएम में रिमोट ई-वोटिंग और ई-वोटिंग के तहत शेयरधारकों द्वारा अपेक्षित संख्या में वोट प्राप्त करने में विफल रहे हैं।’’
उसी दिन घोषित मतदान परिणामों के बाद सभी चार स्वतंत्र निदेशकों ने इस्तीफा दे दिया।
डिश टीवी ने कहा, ‘‘हम आपको सूचित करना चाहेंगे कि कंपनी के शेयरधारकों द्वारा ईजीएम में डाले गए वोटों के आधार पर कंपनी के निदेशकों ने 22 दिसंबर, 2023 से बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है।’’
इसमें तत्काल प्रभाव से सुनील खन्ना को स्वतंत्र निदेशक और रवि भूषण पुरी को कार्यकारी निदेशक नियुक्त करने की भी जानकारी दी गई।
शेयरधारकों के मूड को भांपते हुए डिश टीवी बोर्ड ने 18 दिसंबर, 2023 को खन्ना और पुरी की नियुक्तियों को मंजूरी दे दी थी।
हालांकि, ये नियुक्तियां ‘टेलीविजन चैनलों की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए नीति दिशानिर्देशों’ के तहत निर्धारित सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त होने की तारीख से या उस तारीख से प्रभावी होनी थीं, जिस दिन बोर्ड में निदेशकों की संख्या न्यूनतम से कम हो जाती है।
इस साल अगस्त में, प्रमुख शेयर बाजार बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने डिश टीवी पर बोर्ड बैठक की संरचना और कोरम की कमी को लेकर जुर्माना लगाया था।
डिश टीवी का सुभाष चंद्रा के नेतृत्व वाले प्रवर्तक परिवार और इसके पूर्व के सबसे बड़े शेयरधारक यस बैंक लिमिटेड के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा है। चंद्रा के परिवार के नेतृत्व वाले प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह के पास कंपनी की मात्र 4.04 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उसका बोर्ड के पुनर्गठन को लेकर यस बैंक के साथ विवाद चल रहा है।
यस बैंक लि. कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक होती थी। उसने हाल में अपनी 24.2 प्रतिशत हिस्सेदारी जेसी फ्लॉवर्स असेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लि. को बेची है।
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