नयी दिल्ली, एक नवंबर विराट कोहली और उनकी टीम मौजूदा टी20 विश्व कप में लगातार दूसरी हार के बाद ग्रुप चरण से ही बाहर होने की कगार पर पहुंच गई है जिसके बाद क्रिकेट जगत ने टीम की रणनीति की आलोचना की है।
भारत को रविवार रात दुबई में न्यूजीलैंड के खिलाफ आठ विकेट से हार का सामना करना पड़ा। टीम की यह लगातार दूसरी हार है। टीम इंडिया को पहले मैच में इसी स्थल पर पाकिस्तान ने 10 विकेट से हराया था।
टूर्नामेंट से पहले खिताब के प्रबल दावेदार माने जा रहे भारत पर न्यूजीलैंड के खिलाफ हार के बाद सेमीफाइनल में जगह बनाने से चूकने का खतरा मंडरा रहा है।
भारत ही हार से स्तब्ध क्रिकेट जगत ने प्रतिक्रिया देते हुए टीम की रणनीति, जज्बे और बल्लेबाजों की तकनीक पर सवाल उठाए।
वीरेंद्र सहवाग:
भारत ने काफी निराश किया। न्यूजीलैंड की टीम शानदार थी। भारत की ‘बॉडी लैंग्वेज’ अच्छी नहीं थी, शॉट चयन खराब था और अतीत में कुछ मौकों की तरह न्यूजीलैंड ने लगभग सुनिश्चित कर दिया है कि हम अगले चरण में जगह नहीं बना पाएंगे। भारत को इससे पीड़ा पहुंचेगी और गंभीर आत्ममंथन करने का समय है।
इरफान पठान:
किसी भी बड़े टूर्नामेंट में आप सिर्फ एक मैच के बाद अपनी एकादश में बदलाव नहीं करते और वांछित नतीजे हासिल नहीं कर सकते। खिलाड़ियों को स्थायित्व की जरूरत होती है और मुझे हैरानी है कि ऐसा तब हुआ जब कुछ बड़े नाम फैसले कर रहे थे। न्यूजीलैंड ने काफी अच्छा काम किया, आज आप काफी अच्छे थे। और टीम इंडिया को एकजुट होकर करिश्मा करने की जरूरत है। समय निकल रहा है।
वीवीएस लक्ष्मण:
टीम इंडिया को इस हार का नुकसान उठाना पड़ेगा। बल्लेबाजी करते हुए संकोच था, उनके शॉट चयन पर सवाल उठाए जा सकते हैं। न्यूजीलैंड ने शानदार गेंदबाजी की लेकिन भारत ने उनका काम आसान कर दिया। नेट रन रेट घटने के कारण सेमीफाइनल में जगह बनाने का सपना पूरा होता नजर नहीं आता।
सुनील गावस्कर:
मुझे नहीं पता कि क्या यह विफलता का डर है लेकिन हमें पता है कि आज उन्होंने बल्लेबाजी क्रम में जो भी बदलाव किए उन्होंने काम नहीं किया। रोहित शर्मा इतना शानदार बल्लेबाज है और उसे तीसरे नंबर पर भेजा गया। तीसरे नंबर पर इतने सारे रन बनाने वाले कोहली स्वयं चौथे नंबर पर उतरे। इशान किशन जैसे युवा खिलाड़ी को पारी का आगाज करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इशान किशन मारो या मरो वाला खिलाड़ी है और बेहतर है कि उसके जैसा बल्लेबाज चौथे या पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे।
मदनलाल:
यह दुर्भाग्यशाली है क्योंकि इन दोनों ही मैचों में भारत सामान्य से अधिक बेसब्र दिखा। अगर आप रन नहीं बनाओगे तो मैच में आपके लिए मौका नहीं बनेगा। 111 रन के लक्ष्य का बचाव करिश्मा होने पर ही किया जा सकता है। दोनों ही मैचों में भारत का कोई मौका नहीं मिला। इस प्रारूप में अगर आप शुरुआत में दबदबा नहीं बनाते को मुश्किल होती है।
हरभजन सिंह:
अपने खिलाड़ियों को लेकर कड़ा रुख मत अपनाइए। हां हम उन्हें बेहतर क्रिकेट खेलने के लिए जानते हैं। इस तरह के नतीजों के बाद खिलाड़ियों को सबसे अधिक पीड़ा पहुंचती है। लेकिन मैच जीतने के लिए न्यूजीलैंड ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने सभी विभागों में शानदार प्रदर्शन किया।
माइकल वान:
भारत को अन्य देशों से सबक लेना चाहिए। अनुभव के लिए अपने खिलाड़ियों को दुनिया भर की अन्य लीग में खेलने की स्वीकृति दो। ईमानदारी से कहूं तो वे सफेद गेंद के क्रिकेट में इतने वर्षों में प्रतिभा और गहराई को देखते हुए उम्मीद के मुताबिक उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए।
शाहिद अफरीदी:
भारत के पास सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने का अब भी कुछ मौका है लेकिन प्रतियोगिता के अपने दो बड़े मैच उन्होंने जिस तरह खेले, वे करिश्मा होने पर ही क्वालीफाई कर पाएंगे।
अजहर अली:
भारत के लिए चीजें अच्छी नहीं लग रही लेकिन हम सभी चाहते हैं कि भारत टूर्नामेंट में बने रहे। भारत का जल्दी बाहर होना टूर्नामेंट के लिए अच्छा नहीं है।
शोएब अख्तर:
भारत का निराशाजनक प्रदर्शन। बेहतर और मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद की थी। आज रात ऐसा लगा कि भारतीय टीम को पता ही नहीं कि वे क्या कर रहे हैं, पता नहीं ऐसा क्यों था। आपने इशान किशन को पारी का आगाज करने क्यों भेजा, हार्दिक पंड्या अंत में गेंदबाजी कर रहा था। उसे पहले गेंदबाजी करनी चाहिए थी। उन्होंने वास्तव में खराब क्रिकेट खेला। भारतीय टीम इतने अधिक दबाव में दिखी। मुझे नहीं पता कि भारत किस योजना, रणनीति पर चल रहा था। कोई योजना नजर नहीं आई, सभी डर के साथ खेलते दिखे, कोहली और रोहित अपने क्रम पर नहीं उतरे।
मोहम्मद आमिर:
मेरा अब भी मानना है कि भारत सर्वश्रेष्ठ टीम है। यह अच्छे समय और बुरे समय का खेल है। लेकिन खिलाड़ियों और उनके परिवारों को अपशब्द कहना शर्मनाक है। मत भूलिए कि आखिर यह सिर्फ क्रिकेट का एक मैच है।
निक कॉम्पटन:
मुझे समझ नहीं आता कि अश्विन के साथ कोहली के रिश्ते के कारण कैसे वह भारतीय टीमों से बाहर है। क्या आपको लगता है कि कप्तान को इस तरह की स्वायत्ता दी जानी चाहिए।
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