ताजा खबरें | हाथ से मैला ढोने पर रोक के लिए रास में सरकार से की गई कड़े कदम उठाने की मांग

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. देश में हाथ से मैला ढोने पर अब तक रोक नहीं लग पाने को लेकर चिंता जाहिर करते हुए शुक्रवार को राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने सरकार से इसके उन्मूलन के लिए कड़े कदम उठाए जाने की मांग की।

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर देश में हाथ से मैला ढोने पर अब तक रोक नहीं लग पाने को लेकर चिंता जाहिर करते हुए शुक्रवार को राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने सरकार से इसके उन्मूलन के लिए कड़े कदम उठाए जाने की मांग की।

कांग्रेस सदस्य के टी एस तुलसी ने शून्यकाल के तहत यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि हाथ से मैला ढोने पर अब तक रोक नहीं लग पाई है और 2016 से 2020 तक यह काम करते हुए करीब 472 लोगों की मौत हो गई।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों दिल्ली के मंडावली में 15 फुट गहरे सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए भी एक व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया लेकिन पिछले सप्ताह लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सरकार ने कहा कि इस तरह से मौत होने की कोई खबर नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार के आंकड़ों के अनुसार, नालों व नालियों की सफाई के दौरान 321 लोगों की जान गई है लेकिन इनकी मौत को हाथ से मैला ढोने के दौरान हुई मौत नहीं माना गया।

तुलसी ने सरकार से इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की।

शून्यकाल में कांग्रेस के ही कुमार केतकर ने सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा के घोषणा पत्र में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान सकल घरेलू उत्पाद का 25 फीसदी तक बढ़ाने की बात कही गई थी। लेकिन नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि यह योगदान केवल 13 फीसदी है।

द्रमुक सदस्य पी विल्सन ने कपास और यार्न की कीमत बढ़ने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे देश में कपड़ा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि कृषि के बाद कपड़ा उद्योग रोजगार देने वाले वाला दूसरा बड़ा क्षेत्र है लेकिन कपास और यार्न के दामों में वृद्धि और इसकी जमाखोरी के कारण तमिलनाडु में कई कपड़ा मिलें बंद हो गई हैं। यही वजह है कि आज 50 लाख से अधिक कामगारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।

उन्होंने कपास और यार्न की कीमतों में स्थिरता आने तक इनके निर्यात पर रोक लगाने और इसके नियमन की मांग भी की।

बहुजन समाजवादी पार्टी के रामजी ने मांग की कि अनुसूचित जाति व जनजाति कानून की बहाली के लिए किए गए आंदोलन के दौरान इन वर्गों के कई लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लिया जाना चाहिए।

भाजपा सदस्य जीवीएल नरसिंह राव ने आंध्र प्रदेश की छह परियोजनाओं की लागत अधिक होने का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार इनके लिए मदद करे और राज्य सरकार को इनके लिए कोष जारी करने को कहे।

बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए मांग की कि जंगली जानवरों से फसलों को हुए नुकसान को इसके दायरे में लाया जाना चाहिए।

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