नयी दिल्ली, 21 अगस्त आवासीय ऋण महंगा होने और संपत्तियों के दाम बढ़ने के बावजूद देश के शीर्ष सात शहरों में इस साल आवासीय इकाइयों की बिक्री के पूर्व-महामारी स्तर से आगे निकल जाने की संभावना है। उद्योग दिग्गजों ने यह अनुमान लगाया है।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले छह वर्षों में नोटबंदी, रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के गठन, जीएसटी लागू होने और कोविड-19 महामारी जैसी लगातार चार बाधाएं आने के बाद देश का आवासीय बाजार बहुत सारे संरचनात्मक परिवर्तनों से गुजर रहा है और अब एक लंबी अवधि के वृद्धि की शुरुआत हो रही है।
घर खरीदारों की शीर्ष संस्था एफपीसीई घर खरीद की धारणा में आए सुधार के लिए रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के तहत गठित रेरा प्राधिकरण को श्रेय देता है।
सभी प्रमुख सूचीबद्ध रियल एस्टेट डेवलपरों ने पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में रिकॉर्ड बिक्री की थी और चालू वित्त वर्ष (2022-23) में उनकी बिक्री संख्या के और बेहतर होने का अनुमान है।
हालांकि आरबीआई की तरफ से नीतिगत रेपो दर में इस साल कुल 1.40 प्रतिशत की बढ़तरी करने और बैंकों की तरफ से इसका बोझ आवासीय कर्ज लेने वाले कर्जदारों पर डालने से घरों की बिक्री की गति धीमी हुई है।
इसके अलावा आवासीय इकाइयों की कीमतों में बीते एक साल में दर्ज की गई उच्च वृद्धि ने भी कई लोगों को घर खरीद की योजना टालने के लिए मजबूर किया है।
निर्माण की उच्च लागत, खासकर सीमेंट और इस्पात की लागत बढ़ने के कारण जून तिमाही में कीमतों में सालाना आधार पर औसतन पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई। लेकिन डेवलपरों और ब्रोकरों का मानना है कि लागत में वृद्धि अल्पकालिक है और त्योहारी सीजन से मांग में एक बार फिर तेजी आएगी।
संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक ने कहा कि इस साल देश के सात प्रमुख शहरों- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में आवासीय इकाइयों की बिक्री कोविड-पूर्व स्तर यानी 2019 में दर्ज की गई 2,61,358 इकाइयों को पार कर जाएगी। हालांकि फिर भी बिक्री वर्ष 2014 के 3.43 लाख इकाइयों के आंकड़े से कम होगी।
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि रेपो रेट में बढ़ोतरी का जून तिमाही में आवास की बिक्री पर कुछ असर पड़ा है, जो पिछली तिमाही से 15 फीसदी कम है।
मैक्रोटेक डेवलपर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक लोढ़ा ने कहा कि भारत का आवास उद्योग संरचनात्मक उत्थान के शुरुआती दौर में है। उन्होंने अगले 10-20 वर्षों के लिए विकास पर आशावादी नजरिया रखते हुए कहा कि आवास की कीमतों में मामूली वृद्धि बाजार के लिए अच्छी है।
लोढ़ा ने पीटीआई- के साथ बातचीत में कहा, "ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि आवास ऋण पर 8.5-9 प्रतिशत ब्याज दरों तक आवास की मांग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।"
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