देश की खबरें | दिल्ली की वायु गुणवत्ता आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंची

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई और मंगलवार को ‘‘खराब’’ श्रेणी में दर्ज की गई। इसके लिए काफी हद तक हवा का शांत रहना और कम तापमान जिम्मेदार रहा, जिसके कारण प्रदूषक एकत्रित हुए।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई और मंगलवार को ‘‘खराब’’ श्रेणी में दर्ज की गई। इसके लिए काफी हद तक हवा का शांत रहना और कम तापमान जिम्मेदार रहा, जिसके कारण प्रदूषक एकत्रित हुए।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान के नजदीकी क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि भी देखी गई है लेकिन इसका राजधानी में वायु गुणवत्ता पर प्रभाव कम था।

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दिल्ली में सुबह में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) "बहुत खराब" श्रेणी में दर्ज किया गया और यह पूर्वाह्न 11 बजे 306 दर्ज किया गया। इसके बाद प्रदूषण के स्तर में थोड़ी कमी आयी।

चौबीस घंटे का औसत एक्यूआई शाम चार बजे 300 दर्ज किया गया, जो कि ‘‘खराब’’ श्रेणी में आता है। पिछली बार इस तरह के खराब स्तर पर वायु गुणवत्ता गत 12 फरवरी को पहुंची थी जब एक्यूआई 320 दर्ज किया गया था।

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सोमवार को यह 261, रविवार को 216 और शनिवार को 221 था।

द्वारका सेक्टर-8 (एक्यूआई 390), वजीरपुर (एक्यूआई 372), और मुंडका (एक्यूआई 352) में मंगलवार को सबसे अधिक प्रदूषण स्तर दर्ज किया।

उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।

भारतीय मौसम विभाग में वरिष्ठ वैज्ञानिक वी के सोनी ने कहा कि वायु गुणवत्ता में गिरावट के लिए हवा की कम गति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जिसके कारण प्रदूषक जमा हो जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ 'वेंटिलेशन इंडेक्स’ में थोड़ा सुधार हुआ है और एक्यूआई में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद नहीं है।’’

‘वेंटिलेशन इंडेक्स’ वह गति है जिस पर प्रदूषक तितर-बितर हो सकते हैं। औसतन 10 किमी प्रति घंटे से कम हवा की गति के साथ 6,000 वर्गमीटर प्रति सेकंड से कम वेंटिलेशन सूचकांक, प्रदूषकों के फैलने के लिए प्रतिकूल है।

दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर सुबह नौ बजे 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा जो शाम पांच बजे तक 293 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया।

भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे पीएम10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है।

पीएम10, 10 माइक्रोमीटर के व्यास वाला सूक्ष्म अभिकण होता है, जो साँस के जरिये फेफड़ों में चले जाते हैं। अनमें धूल-कण इत्यादि शामिल होते हैं।

पीएम2.5 का स्तर 128 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। पीएम2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक सुरक्षित माना जाता है। पीएम2.5 अति सूक्ष्म महीन कण होते हैं जो रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं।

नासा के उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों में पंजाब के अमृतसर और फिरोजपुर और हरियाणा के अंबाला और कैथल के पास बड़े पैमाने पर आग जलती हुई दिखाई दी।

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च, सफर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और आसपास के सीमांत क्षेत्रों में करीब 675 खेतों में आग देखी गई लेकिन प्रदूषकों को लाने के लिए हवा की दिशा अनुकूल नहीं है। इसलिए दिल्ली में पीएम2.5 में नाममात्र की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

मौसम विभाग के अनुसार, मंगलवार को न्यूनतम तापमान 19.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिन के समय अधिकतम हवा की गति 12 किलोमीटर प्रतिघंटा थी और इसकी दिशा दक्षिणपूर्व थी।

ऐसे में जब दिल्ली-एनसीआर में आगामी महीनों में वायु गुणवत्ता खराब रहने की आशंका है, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण का अधिक स्तर कोविड-19 महामारी को बढ़ा सकता है।

इस वर्ष दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण के खिलाफ एक व्यापक अभियान शुरू किया गया है। ‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’ का नेतृत्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय द्वारा किया जा रहा है।

सर्दियों में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों की निगरानी के लिए दिल्ली सचिवालय में 10 सदस्यीय विशेषज्ञ दल के साथ एक ‘ग्रीन वार रूम’ स्थापित किया गया है।

पर्यावरण विभाग ने धूल नियंत्रण मानदंडों की धज्जियां उड़ाने वाले निर्माण और निर्माण गिराने वाले बड़े स्थलों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की है।

सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में गैर-बासमती चावल के खेतों में "पूसा बायो-डीकंपोजर" घोल का छिड़काव भी शुरू किया।

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