दिल्ली हिंसा : नागरिक अधिकार समूहों ने गिरफ्तार किए गए जामिया के दो छात्रों को रिहा करने की मांग की
‘हम भारत के लोग’ ने अपने बयान में दिल्ली पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी को ‘‘मनमाना’’ बताया है। इस बयान पर 26 नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने हस्ताक्षर किया है।
नयी दिल्ली, 13 अप्रैल नागरिक अधिकार समूहों ने दिल्ली हिंसा के सिलसिले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दो छात्रों की गिरफ्तारी की सोमवार को आलोचना करते हुए पुलिस पर आरोप लगाया कि वह सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों को चुप कराने के लिए कोविड-19 लॉकडाउन का ‘‘गलत इस्तेमाल’’ कर रही है।
‘हम भारत के लोग’ ने अपने बयान में दिल्ली पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी को ‘‘मनमाना’’ बताया है। इस बयान पर 26 नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने हस्ताक्षर किया है।
छात्र राष्ट्रीय जनता दल के मीरान हैदर को दो अप्रैल को जबकि जामिया को-ऑर्डिनेशन समिति के सफूर जरगार को 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था ।
समूह ने एक बयान में कहा, ‘‘यह ऐसा वक्त है जब पूरे देश को स्वास्थ्य और भूख की संकट पर ध्यान देने की जरूरत है, ऐसा वक्त है जब हमारी प्राथमिकता इस वायरस उन्मूलन के लिए एकजुट रहने की होनी चाहिए।’’
उसमे कहा गया है, ‘‘ऐसा वक्त है जब लॉकडाउन में बंधे नागरिक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, यह सरकारों का नैतिक कर्तव्य है कि वे राज्य द्वारा अधिकार के किसी भी दुरुपयोग को रोकें।’’
बयान में दावा किया गया है कि महामारी का ‘‘खुल्लम-खुल्ला साम्प्रदायिकरण’’ किया जा रहा है और ‘‘राज्य की (सरकारी) एजेंसियां छात्रों और कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही हैं।’’
बयान के अनुसार, ‘‘हम सीएए/एनआरसी/एनपीआर के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने वाले कार्यकर्ताओं और छात्रों को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा चुन-चुन कर निशाना बनाए जाने की निंदा करते हैं।’’
उसमें कहा गया है कि गुल इंकलाबी जैसे कई अन्य कार्यकर्ताओं, उत्तरी-पूर्वी दिल्ली के कई मुसलमान युवाओं और जामिया के छात्रों को लॉकडाउन के दौरान विशेष प्रकोष्ठ प्रतिदिन पूछताछ के लिए बुला रही है।
बयान में कहा गया है, ‘‘अब उन सभी को दिल्ली हिंसा से जुड़े फर्जी मामलों में फंसाने का प्रयास किया जा रहा है... दिल्ली हिंसा के बारे में काल्पनिक कहानियां बना कर, दिल्ली पुलिस कोविड-19 लॉकडाउन का दुरुपयोग सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों को चुप कराने और गिरफ्तार करने के लिए कर रही है, वह आशा कर रही है कि अधिकारों के दुरुपयोग की यह कहानी अनकही रह जाएगी, क्योंकि ना तो इसे खबरों में जगह मिल रही है और नाहीं इनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।’’
उसमें कहा गया है कि इस महामारी के दौरान कार्यकर्ताओं और छात्रों को फर्जी मामलों मे फंसा कर जेल भेजे जाने से उनका जीवन खतरे में पड़ रहा है और लॉकडाउन के कारण अदालतों में भी आंशिक रूप से ही काम हो रहा है, इसलिए उन्हें उचित कानूनी सहायता भी नहीं मिल पा रही है।
इस बयरन पर योगेन्द्र यादव, अंजली भारद्वाज, एनी राजा, तीस्ता सीतलवाड़, कविता कृष्णन, मेधा पाटकर और उमर खालिद ने हस्ताक्षर किया है।
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