देश की खबरें | 'समर्थ' के जरिये दिल्ली विश्वविद्यालय का परीक्षा शुल्क संग्रह दोगुना
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने लगभग 1.4 लाख छात्रों से परीक्षा शुल्क के तौर पर लगभग 9.5 करोड़ रुपये एकत्र किए, जो कि केंद्र के ‘समर्थ पोर्टल’ के माध्यम से आई पारदर्शिता के कारण संभव हो सका है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
नयी दिल्ली, 12 दिसंबर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने लगभग 1.4 लाख छात्रों से परीक्षा शुल्क के तौर पर लगभग 9.5 करोड़ रुपये एकत्र किए, जो कि केंद्र के ‘समर्थ पोर्टल’ के माध्यम से आई पारदर्शिता के कारण संभव हो सका है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यह विश्वविद्यालय को पहले परीक्षा शुल्क से प्राप्त होने वाली राशि से लगभग दोगुना है। उन्होंने कहा कि इससे पहले, कई कॉलेज पूरी तरह से परीक्षा शुल्क विश्वविद्यालय को हस्तांतरित नहीं करते थे क्योंकि इस पर नजर रखने के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं था।
विश्वविद्यालय पिछले साल से कोविड-19 के कारण छात्रों के लिए ‘ओपन बुक’ परीक्षा आयोजित कर रहा है और सेमेस्टर परीक्षा 30 नवंबर से शुरू हुई है।
प्रत्येक छात्र पर प्रति सेमेस्टर 500 रुपये का न्यूनतम परीक्षा शुल्क लगाया जाता है, जबकि उसे प्रत्येक प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए 200 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। पुन: परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले पूर्व छात्रों को अतिरिक्त 500 रुपये का भुगतान करना होगा।
विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘समर्थ ने परीक्षा शुल्क संग्रह को एक केंद्रीकृत प्रक्रिया बना दिया है। पहले, कॉलेज इस पैसे को एकत्र करते थे, लेकिन कई कॉलेज विश्वविद्यालय को पूरा भुगतान नहीं करते थे। विश्वविद्यालय के तहत विभिन्न कॉलेजों से छात्रों की संख्या और संबंधित शुल्क पर नजर रखना मुश्किल था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक और मुद्दा यह था कि कई कॉलेज एक छात्र के दाखिले के समय ही परीक्षा शुल्क जमा करते थे और इसलिए यह स्पष्ट नहीं था कि छात्र कौन से पेपर का चयन करेगा। इसलिए, यह काफी संभावना थी कि या तो छात्र अधिक भुगतान कर रहा था या निर्धारित राशि से कम।’’
परीक्षा के डीन डी.एस. रावत ने कहा कि समर्थ पर लगभग 1.4 लाख छात्रों का विवरण अपलोड करने में विश्वविद्यालय को तीन महीने से अधिक का समय लगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस बार, छात्रों ने पोर्टल पर अपने परीक्षा फॉर्म भरे। इससे कई उन तार्किक मुद्दों का समाधान हुआ, जिनका हम पहले सामना कर रहे थे।’’
तीसरे सेमेस्टर में पदोन्नत होने के लिए एक छात्र को पहले और दूसरे सेमेस्टर में औसतन कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
पहले की कमियों पर प्रकाश डालते हुए, रावत ने कहा, ‘‘पहले, कभी-कभी, कॉलेज छात्रों को तीसरे सेमेस्टर में पदोन्नत कर देते थे और यहां तक कि उन्हें यह पता लगाए बिना परीक्षा देने की अनुमति देते थे कि क्या उन्होंने पिछले सेमेस्टर पास कर लिये हैं या नहीं।’’
रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय का सॉफ्टवेयर भी ऐसे मामलों की जांच के लिए सुसज्जित नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘अब, जिन छात्रों ने अपने पिछले सेमेस्टर को पास नहीं किया है, उन्हें उनका परिणाम भी नहीं मिलता है और वे नए सेमेस्टर के लिए परीक्षा फॉर्म नहीं खोल सकते हैं।’’
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