देश की खबरें | दिल्ली दंगा: अदालत ने दो व्यक्तियों को जमानत प्रदान की
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में गत फरवरी के सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े दो मामलों में दो व्यक्तियों को यह कहते हुए जमानत दे दी है कि मामलों में शिकायतकर्ता घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी नहीं थे।
नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में गत फरवरी के सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े दो मामलों में दो व्यक्तियों को यह कहते हुए जमानत दे दी है कि मामलों में शिकायतकर्ता घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी नहीं थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने मोहम्मद सगीर और मेहताब को जफराबाद क्षेत्र में दंगों के दौरान तोड़फोड़ और वाहनों में आग लगाने संबंधित दो मामलों में से प्रत्येक में 25,000- 25,000 रुपये के निजी मुचलके और उतनी ही राशि के जमानती मुहैया कराने पर जमानत प्रदान की।
अदालत ने गत 14 अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा, ‘‘वर्तमान मामला शिकायतकर्ता वसीम खान की शिकायत पर दर्ज किया गया था जिसमें कहा गया था कि उसने अपना वाहन 24 फरवरी, 2020 को खड़ा किया था और जब वह 25 फरवरी, 2020 को सुबह 8.00 बजे वापस आया था तो पाया कि उनके वाहन सहित पार्किंग को जला दिया गया था। वह इस घटना का चश्मदीद गवाह नहीं है।’’
इसमें उल्लेखित किया गया है कि सगीर को सीसीटीवी फुटेज और एक अन्य मामले में उसके खुलासे के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, जिसमें वह पहले गिरफ्तार किया गया था।
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इसमें यह भी उल्लेखित किया गया है कि मेहताब को भी एक अन्य मामले में उसके खुलासे के आधार पर मामले में गिरफ्तार किया गया था।
अदालत ने उन्हें सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने, दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ने या किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त नहीं होने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान, सगीर के वकील ने कहा कि एक कथित सीसीटीवी फुटेज को छोड़कर, दोनों में से किसी भी मामले में आरोपी के खिलाफ कोई भी ठोस सबूत नहीं है जिसमें उसे कथित तौर पर अन्य व्यक्तियों के साथ खाली हाथ खड़े दिखाया गया है।
उसके वकील ने दलील दी कि शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहीं भी यह नहीं कहा है कि वह उन लोगों की पहचान कर सकता है जो दंगों में शामिल थे लेकिन अचानक उसकी पहचान 24 अप्रैल को पुलिस थाने में की गई जो कि विश्वसनीय नहीं है।
मेहताब के वकील ने दलील दी कि वह किसी भी गैरकानूनी सभा का हिस्सा नहीं था और न ही वह दंगों के दौरान कोई नारा लगा रहा था और न ही भीड़ का नेतृत्व कर रहा था।
पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अनुज हांडा ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सगीर और मेहताब को सीसीटीवी फुटेज में दंगों में लिप्त देखा जा सकता है।
संशोधित नागरिकता कानून समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे।
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