दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोक अभियोजकों की भर्ती के लिए निगरानी समिति का गठन किया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की निचली अदालतों में लोक अभियोजकों की आवश्यकता एवं भर्ती की समय-समय पर समीक्षा करने के लिए एक निगरानी समिति के गठन का आदेश दिया है।
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की निचली अदालतों में लोक अभियोजकों की आवश्यकता एवं भर्ती की समय-समय पर समीक्षा करने के लिए एक निगरानी समिति के गठन का आदेश दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने निचली अदालतों में मामले लंबित रहने पर चिंता जताते हुए और लोक अभियोजकों (पीपी) को नियुक्त किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
अदालत ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को मामलों की सुनवाई के लिए लोक अभियोजकों का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें निचली अदालतें ‘‘साझा’’ कर रही हैं. उसने कहा कि निगरानी समिति में वित्त और कानून एवं न्याय सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल होंगे और उसे फरवरी में अगली तारीख से पहले रिपोर्ट सौंपनी होगी. इसमें कहा गया है कि समिति लोक अभियोजकों की रिक्तियों के संबंध में दिल्ली सरकार को सिफारिशें भी भेजेगी.
उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में लोक अभियोजकों की भर्ती, नियुक्ति और कामकाज से संबंधित मुद्दों पर याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई के दौरान यह कहा। इनमें से एक याचिका का अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया है. जनहित याचिकाओं में अभियोजकों के वेतन को बढ़ाने और उन्हें उनके कर्तव्य के निर्वहन के लिए आवश्यक सुविधाएं और बुनियादी ढांचा मुहैया कराए जाने का भी अनुरोध किया गया है.
इस मामले में अदालत की सहायता कर रहे न्याय मित्र राजीव के. विरमानी ने कई बार दिए गए वे न्यायिक आदेश पेश किए, जिनमें अधिकारियों से दिल्ली की अदालतों में पर्याप्त संख्या में लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि इन आदेशों के बावजूद लोक अभियोजकों की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रणाली मौजूद नहीं है और पद रिक्त हैं.
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