देश की खबरें | दिल्ली उच्च न्यायालय ने असामान्य भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दी
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नयी दिल्ली, 14 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने 23 हफ्ते के भ्रूण का गर्भपात कराने के एक महिला का अनुरोध मंगलवार को स्वीकार कर लिया, जब एम्स की एक मेडिकल रिपोर्ट में बच्चे के जन्म से जुड़ी जटिलताओं के मद्देनजर इस प्रक्रिया की अनुमति दी गई।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि एम्स द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के मद्देनजर वह महिला की याचिका को स्वीकार कर रही है जिसमें दावा किया गया कि भ्रूण असामान्य है क्योंकि उसे “स्पाइना बाइफिडा और आर्नोल्ड चियारी सिंड्रोम विकार” है जिसकी वजह से बच्चे में रीढ़ शरीर के बाहर होगा और दिमाग के ऊतक स्पाइन कैनाल तक फैल जाएंगे।
अधिवक्ता स्नेहा मुखर्जी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि भ्रूण में विकृत खोपड़ी और ह्रदय विकार जैसी कुछ और असामान्यताएं भी हैं।
पीठ ने कहा कि वह अपने फैसले के विस्तृत कारण बाद में देगी और मामले का निपटारा कर दिया।
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गत 10 जुलाई को, उच्च न्यायालय ने महिला के मामले को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को भेजकर महिला एवं उसके भ्रूण की जांच के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने को कहा था ताकि यह निश्चित किया जा सके कि गर्भपात कराना सुरक्षित होगा या नहीं।
एम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस मामले में बच्चे के जन्म से जुड़ी जटिलताओं के मद्देजनजर गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है।
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