दिल्ली आबकारी नीति मामला: कारोबारी महेंद्रू की अंतरिम जमानत बढ़ाने से अदालत का इनकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति 'घोटाले' से संबंधित धनशोधन मामले में शराब कारोबारी समीर महेंद्रू की चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत बढ़ाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा बार-बार करने से एक खराब मिसाल कायम होती है।
नयी दिल्ली, 01 सितंबर: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति 'घोटाले' से संबंधित धनशोधन मामले में शराब कारोबारी समीर महेंद्रू की चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत बढ़ाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा बार-बार करने से एक खराब मिसाल कायम होती है. उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा कि अंतरिम जमानत का विस्तार कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया बनती जा रही है. उसने संबंधित जेल अधीक्षक को 4 सितंबर की शाम को महेंद्रू को हिरासत में लेने के लिए कहा, जब उनकी अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त हो जाएगी. घुटने की सर्जरी के बाद महेंद्रू यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं.
अदालत ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सा अधीक्षक को आरोपी की जांच करने और उसकी बीमारी के बारे में एक निश्चित राय देने वाली रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चिकित्सकों का एक बोर्ड गठित करने का भी निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने महेंद्रू को 12 जून को चिकित्सा आधार पर छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी थी. उन्हें 25 जुलाई को उच्च न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था. महेंद्रू ने 24 जुलाई को उच्च न्यायालय का फिर से रुख किया और चिकित्सा आधार पर राहत छह सप्ताह बढ़ाने का अनुरोध किया. अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत 4 सितंबर तक बढ़ा दी.
शुक्रवार को, महेंद्रू के वकील ने कहा कि आरोपी के घुटने में चोट लगी थी और बृहस्पतिवार को यहां एक निजी अस्पताल में उसकी सर्जरी हुई थी. उन्होंने अनुरोध किया कि महेंद्रू की अंतरिम जमानत तीन महीने बढ़ा दी जाए क्योंकि उन्हें ठीक होने में समय लगेगा. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति को उचित चिकित्सा उपचार पाने का अधिकार है और आरोपी कोई अपवाद नहीं है. उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (महेंद्रू) को कई मौकों पर रियायतें दी गईं…. लेकिन साथ ही समय-समय पर अंतरिम जमानत बढ़ाने से एक बहुत खराब मिसाल कायम होती है और इस अदालत को याचिकाकर्ता की अंतरिम जमानत बढ़ाने का कोई आधार नहीं दिखता है.’’
उसने कहा कि महेंद्रू निजी अस्पताल में भर्ती रह सकते हैं और जेल अधीक्षक को 4 सितंबर को उनको हिरासत में लेने का निर्देश दिया. अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि के दौरान उनकी पत्नी और बच्चों को उनसे मिलने की इजाजत दी गई है. उन्हें घर का बना खाना खाने की भी इजाजत दी गई है. हालांकि, उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनके परिवार के सदस्यों को मुलाकातों के दौरान मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होगी और महेंद्रू भी ऐसा नहीं कर सकते. उच्च न्यायालय ने कहा कि महेंद्रू निचली अदालत में जाने और चिकित्सा आधार पर नियमित जमानत मांगने के लिए स्वतंत्र हैं.
सुनवाई के दौरान, महेंद्रू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने कहा कि उनके मुवक्किल 16 अगस्त को घायल हो गए थे और 31 अगस्त को उनके घुटने की सर्जरी की गई थी. वकील ने कहा कि महेंद्रू फिलहाल बिस्तर पर हैं और तथ्यों का सत्यापन एम्स, दिल्ली से की जा सकती है. ईडी के वकील ने अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि यह कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया नहीं हो सकती. सरकारी वकील ने कहा कि महेंद्रू को पहले भी कई बार जेल से रिहा किया जा चुका है.अभियोजन पक्ष ने महेंद्रू पर आरोप लगाया है कि वह आबकारी नीति में उल्लंघन के प्रमुख लाभार्थियों में से एक है क्योंकि वह न केवल एक मादक पेय विनिर्माण इकाई चला रहे थे, बल्कि उन्हें नियमों का उल्लंघन करते हुए कुछ रिश्तेदारों के नाम पर कुछ खुदरा लाइसेंस के साथ थोक लाइसेंस भी दिया गया था.
अभियोजन पक्ष ने दावा किया है कि कथित अनियमितताओं और उल्लंघनों के कारण, महेंद्रू ने लगभग 50 करोड़ रुपये कमाए. धनशोधन का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमकी से उपजा है. सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय कथित अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया. इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया भी आरोपी हैं।
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