नयी दिल्ली, 17 नवंबर राष्ट्रीय राजधानी स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थियों ने अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (एयूडी) के प्रोफेसर सलिल मिश्रा और अस्मिता काबरा की बर्खास्तगी का विरोध करते हुए रविवार को यहां प्रदर्शन किया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), जामिया मिलिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य इस प्रदर्शन में शामिल हुए।
शिक्षकों और विद्यार्थियों ने बर्खास्त प्राध्यापकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए विश्वविद्यालय के इस फैसले का विरोध किया।
प्रदर्शनकारी शिक्षकों व विद्यार्थियों ने इस कार्रवाई को शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया और उनकी तत्काल बहाली की मांग की।
एयूडी के प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) ने मिश्रा और काबरा को 2018 में 38 गैर-शिक्षण कर्मचारियों के नियमितीकरण में कथित प्रक्रियात्मक खामियों के कारण पांच नवंबर को बर्खास्त कर दिया था।
विश्वविद्यालय के इस निर्णय की व्यापक आलोचना हुई थी और कई लोगों ने कहा था कि डॉ. जी.एस. पटनायक समिति पहले ही उन्हें इन आरोपों से मुक्त कर चुकी है।
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की संयोजक उमा गुप्ता ने कहा, “डॉ. जी.एस. पटनायक समिति ने नियमितीकरण नीति के निर्णय लेने और कार्यान्वयन में शामिल सभी प्रशासकों को स्पष्ट रूप से दोषमुक्त कर दिया था।”
उन्होंने कहा, “फिर भी बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने इसे अनदेखा कर दिया और एक अन्य समिति गठित की। इस समिति को अब तक वित्तीय अनियमितताओं का कोई सबूत नहीं मिला।”
गुप्ता ने बर्खास्तगी की निंदा करते हुए इसे प्रतिशोधात्मक करार दिया। उन्होंने कहा, “यह समान सार्वजनिक शिक्षा के लिए खड़े होने की सजा है।”
एयूडी में अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा) की अध्यक्ष प्रेरणा ने प्राध्यापकों की बर्खास्तगी से विद्यार्थियों पर पड़ने वाले प्रभाव को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “जब हमारे शिक्षकों पर हमला होता है, तो हमारी शिक्षा पर भी हमला होता है। हम उनके साथ खड़े हैं।”
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