दिग्गज फैशन ब्रांड से जुड़े ब्राजील में जंगलों की कटाई के तार
जारा और एचएंडएम जैसे बड़े ब्रांड ब्राजील के खेतों में उत्पादित कपास से कपड़े तैयार करते हैं.
जारा और एचएंडएम जैसे बड़े ब्रांड ब्राजील के खेतों में उत्पादित कपास से कपड़े तैयार करते हैं. हालांकि एक नई जांच में इन्हें जमीन हथियाने और जंगलों की कटाई से जोड़कर देखा जा रहा है.फैशन जगत में बड़े-बड़े मॉल और डिस्प्ले खिड़कियों तक पहुंचने से पहले जारा और एच एंड एम के सूती पैंट, शर्ट, शॉर्ट्स और मोजे जंगलों की कटाई, जमीन कब्जाने और मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर सवालिया निशान छोड़ जाते हैं. उनके कई कपड़ों पर टिकाऊ उत्पादन का लेबल लगा होता है, लेकिन ब्रिटेन के एनजीओ अर्थसाइट की एक वर्ष से चल रही जांच के अनुसार, दुनिया में कपास के चौथे सबसे बड़े उत्पादक देश ब्राजील के खेतों का इन यूरोपीय ब्रांड से गहरा नाता है. अर्थसाइट ने सैटेलाइट तस्वीरों, शिपिंग रिकॉर्ड, सार्वजनिक अभिलेखागार आदि का विश्लेषण कर 816,000 टन कपास के जखीरे को अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचने तक ट्रैक किया.
इस रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2023 के बीच आठ एशियाई कंपनियों के लिए खास तौर पर कपास का उत्पादन किया गया, जिनसे 250 मिलियन (25 करोड़) खुदरा वस्तुएं तैयार की गईं. जांच में यह दावा किया गया कि इनमें से ज्यादातर कंपनियों ने इससे तैयार सामान जारा, एच एंड एम समेत अन्य कंपनियों को बेचे.
अर्थसाइट के डीफोरेस्टेशन रिसर्च के प्रमुख रूबेन्स कार्वाल्हो ने कहा, "प्रतिष्ठित ब्रैंड्स द्वारा आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण का प्रयास न करना आश्चर्य वाली बात है. वे यह जानने की भी कोशिश नहीं करते कि कपास कहां से आ रही है और इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है."
असल में समस्या की जड़ यानी स्रोत में हैः कपास की खेती मूल रूप से ब्राजील के पश्चिमी हिस्से में स्थित बहिया राज्य में होती है. यह एक उष्णकटिबंधीय और सवाना वाले बेहतर जैव विविधता वाले क्षेत्र में शुमार है, जिसे सेराडो कहा जाता है.
सेराडो में खेती और फसलों को उगाने के लिए वनस्पतियों को अवैध रूप से अक्सर नष्ट कर दिया जाता है. ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के अनुसार पिछले पांच वर्षों में वहां पर जंगलों की कटाई दोगुनी हो गई है.
जंगलों की कटाई और जमीन पर कब्जा
जिन मामलों का विश्लेषण किया गया है, उनमें एसएलसी एग्री कोला समूह का भी नाम है जो ब्राजील के कपास निर्यात में 11% का हिस्सा रखता है. अर्थसाइट की रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार गत 12 वर्षों में एसएलसी के खेतों की वजह से सेराडो में 40,000 फुटबॉल मैदानों के बराबर की जमीन नष्ट की जा चुकी है.
अमेरिकी थिंक टैंक चैन रिएक्शन रिसर्च के अनुसार 2020 में सोयाबीन का भी उत्पादन करने वाली इस कंपनी का नाम बायोम (जैव क्षेत्र) में जंगलों को सबसे अधिक क्षति पहुंचाने वालों में शुमार किया गया था. 2021 में एसएलसी ने अपने निर्यातकों के साथ जीरो डिफोरेस्टेशन पॉलिसी के लिए प्रतिबद्धता जताई. एक साल बाद ऐड एनवायरनमेंट नामक गैर-लाभकारी परामर्शदाता संस्था की रिपोर्ट में यह सामने आया कि सेराडो की 1,365 हेक्टेयर जमीन को कपास उगाने के लिए नष्ट कर दिया गया और इसमें से लगभग आधी जमीन कानूनी रूप से संरक्षण के दायरे में थी.
इन आरोपों के बारे में पूछने पर समूह ने डीडब्ल्यू को बताया "एसएलसी द्वारा मूल वनस्पति का रूपांतरण विधिक दायरे में और कानून के तहत किया गया." ऐड एनवॉयरमेंट के आरोपों पर कंपनी ने कहा, "जो भी क्षति हुई वह प्राकृतिक आपदा के रूप में आग लगने के कारण हुई और उसका नए उत्पादन क्षेत्रों को खोलने से कोई लेना देना नहीं है."
अर्थसाइट ने अपने विश्लेषण में होरिता नाम के एक और समूह पर उंगलियां उठाई हैं. होरिता पर पारंपरिक मूल समुदायों के साथ जमीनों के हिंसक मामलों के आरोप हैं. समूह ने डीडब्ल्यू के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.
यूरोपीय कंपनियों का कपास से नाता
यूरोपीय कंपनियों के कपास से जुड़े मामलों की जांच में अर्थसाइट ने 2014 से 2023 के बीच एसएलसी एग्रीकोला और होरिता समूह द्वारा किए गए 816,000 तन कपास के निर्यात की पड़ताल की. इस कपास को मुख्य रूप से चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया, तुर्की, बांग्लादेश और पाकिस्तान में निर्यात किया गया. आंकड़ों की व्यापक पड़ताल से पता चला कि यह एशिया में आठ बड़े परिधान निर्माता से जुड़े हैं.
एनजीओ के अनुसार, इनमें जिन मध्यस्थ कंपनियों को चिन्हित किया गया (उनके नाम इंडोनेशिया में पीटी कहाटैक्स, बांग्लादेश में नाओम समूह और जमुना समूह, पाकिस्तान में निशा, इंटरलूप, वाईबीजी, सफायर और एमटीएमटी ) वे जारा और एच एंड एम जैसी कंपनियों को आपूर्ति करते रहे हैं.
अर्थसाइट की रिपोर्ट में कहा गया, "बाहिया में हमने कपास के जिन मामलों को जमीन विवादों और पर्यावरणीय उल्लंघन से जोड़ा है, उन्हें बेटर कॉटन से प्रमाणन मिला. यह योजना ऐसी कपास को संबंधित उपभोक्ताओं तक पहुंचने से रोकने में विफल रही.”
वर्ष 2009 में फैशन उद्योग और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ जैसे संगठनों ने कच्चे माल के सुरक्षित स्रोत पर मुहर लगाने के रूप में बेटर कॉटन की स्थापना की. इस पहल के अनुसार, ब्राजील में देश के कपास उत्पादकों के संघ, अबरापा के साथ करीब 370 प्रमाणित फर्म हैं.
स्विट्जरलैंड स्थित बेटर कॉटन ने डीडब्ल्यू को बताया कि उसने हाल में ही संलिप्त संबंधित खेतों का एक प्रभावी थर्ट-पार्टी ऑडिट संपन्न कराया है और उसे उसके निष्कर्षों का विश्लेषण और यदि आवश्यक हुए तो कुछ परिवर्तनों को लागू करने के लिए कुछ वक्त की दरकार है.
इस संबंध में एक ईमेल के जरिये बताया गया, "(रिपोर्ट द्वारा) उठाए गए मुद्दे यही दर्शाते हैं कि जो कुछ सामने आया है, उसके समाधान और विधि के शासन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए तत्काल सरकारी सहायता की आवश्यकता है.”
आपूर्ति श्रंखला पर नियंत्रण आवश्यक
एच एंड एम कंपनी ने डीडब्ल्यू को बताया, "रिपोर्ट के निष्कर्ष खासे चिंताजनक हैं” और वह इस मामले को बहुत गंभीरता से लेती है.
इस रिटेलर ने एक ईमेल के माध्यम से कहा, "जांच-पड़ताल के निष्कर्षों और उसके मानकों को और प्रभावी बनाने के लिए अपेक्षित कदमों को लेकर हम बेटर कॉटन के साथ गहन चर्चा में लगे हैं.”
जारा ने डीडब्ल्यू से कहा कि वह भी "बेटर कॉटन के खिलाफ लगे आरोपों को बहुत गंभीरता से लेती है” और उसने मांग की है कि प्रमाणन से जुड़ी यह इकाई जल्द से जल्द उसकी जांच के परिणाम साझा करे.
जारा का स्वामित्व रखने वाली इंडिटेक्स ने 10 अप्रैल को बेटर कॉटन से अधिक पारदर्शिता प्रदर्शित करने की मांग की थी, जब यह ऐलान हुआ था कि रिपोर्ट अगले दिन जारी की जाएगी. इंडिटेक्स ने आठ अप्रैल को लिखे पत्र में प्रमाणन प्रक्रिया को लेकर स्पष्टीकरण का अनुरोध भी किया था. इंडिटेक्स सीधे आपूर्तिकर्ताओं से कपास नहीं खरीदती, बल्कि जो कंपनियां इसका उत्पादन करती हैं, उनका ऑडिट बेटर कॉटन जैसी उन ईकाइयों द्वारा किया जाता है, जो प्रमाणन देती हैं.
अर्थसाइट से रूबेन्स कार्वाल्हो यही मानते हैं कि ब्राजील जैसे जिंस-उत्पादक केंद्रों में जंगलों की कटाई और अधिकारों के उल्लंघन पर विराम लगाने से जुड़े समाधानों के लिहाज से यूरोपीय लोगों की जिम्मेदारी और जवाबदेही है.
उनका कहना है, "यूरोपीय बाजारों में कपास का नियमन अभी भी बहुत लचर है. उन्हें इसका उपभोग का नियमन करने के साथ ही उसके नकारात्मक पर्यावरणीय एवं मानवीय प्रभावों को भी दूर करने की दरकार है.” उनक सुझाव है, "उन्हें गंभीर किस्म के नियमन की आवश्यकता है, जिसका उल्लंघन करने वालों को कड़ा दंड मिले. यह उत्पादकों पर दबाव बढ़ाता है.”
रिपोर्टः नादिया पोंतेस
(यह आलेख मूल रूप से पुर्तगाली में लिखा गया)