नयी दिल्ली, आठ अप्रैल शोधकर्ताओं ने एक नया ‘डीप लर्निंग मॉडल’ विकसित किया है जिससे स्तन के घनत्व का अनुमान लगाकर कैंसर के खतरे का पता लगाने में मदद मिल सकती है।
ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रशिक्षण डेटा से स्वत: विश्लेषण करने की क्षमता ‘डीप लर्निंग’ के माध्यम से स्तन के घनत्व का पता लगाना आसान बना देगी।
‘डीप लर्निंग’ में कंप्यूटरीकृत मॉडल तस्वीरों, शब्दों, वाक्यों और आवाज के आधार पर वर्गीकरण और विश्लेषण करने की क्षमता है।
स्तन का घनत्व स्तन के भीतर मौजूद ‘फाइब्रो-ग्लांडुलर’ उत्तकों के अनुपात से तय होता है और स्तन कैंसर के खतरे का पता लगाने के लिए अक्सर इसका उपयोग किया जाता है।
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के निष्कर्ष ‘जर्नल ऑफ मेडिकल इमेजिंग’ में प्रकाशित किये हैं।
शोधकर्ताओं ने दो स्वतंत्र ‘डीप लर्निंग’ मॉडल का उपयोग किया है। शुरुआत में इन मॉडलों का प्रशिक्षण गैर-मेडिकल इमेजिंग डेटासेट ‘इमेजनेट’ पर लाखों तस्वीरों की मदद से हुआ और फिर ‘ट्रांसफर लर्निंग’ के माध्यम से उनका मेडिकल इमेजिंग डेटा पर प्रशिक्षण हुआ।
रेडियोलॉजिस्ट, विशेषज्ञ रेडियोग्राफर, स्तन रोग विशेषज्ञों सहित कई विशेषज्ञों ने 39,357 महिलाओं की 1,60,000 पूर्ण डिजिटल मैमोग्राम तस्वीरों के आधार पर उनके स्तर का घनत्व तय किया।
इस डेटा का उपयोग करके शोधकर्ताओं ने एक प्रक्रिया तैयार की है जिससे मैमोग्राम की तस्वीरों के आधार पर स्तन के घनत्व का पता लगाया जा सकेगा।
स्तन कैंसर दुनियाभर में महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला कैंसर है।
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