देश की खबरें | क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी और ऑडियो टेप मामले पर शेखावत का इस्तीफा लें प्रधानमंत्री : कांग्रेस
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नयी दिल्ली, 24 जुलाई कांग्रेस ने जयपुर की एक अदालत द्वारा कथित क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले के मामले में जांच का आदेश किए जाने के बाद शुक्रवार को इस प्रकरण में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की भूमिका होने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शेखावत का इस्तीफा लेना चाहिए।
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा के इस आरोप पर फिलहाल भाजपा या शेखावत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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उल्लेखनीय है कि जयपुर की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को राजस्थान पुलिस को उस शिकायत की जांच के निर्देश दिए जिसमें कथित क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में केंद्रीय मंत्री शेखावत के शामिल होने के आरोप लगाए गए हैं।
यह घटनाक्रम कांग्रेस के इन आरोपों के बीच सामने आया है कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को गिराने के प्रयासों में शेखावत शामिल हैं। कांग्रेस ने एक ऑडियो क्लिप का हवाला देते हुए शेखावत यह आरोप लगाया था।
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शेखावत ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि गहलोत सरकार से जुड़े घटनाक्रम से उनका कोई संबंध नहीं है, बल्कि यह वर्तमान स्थिति कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई के कारण पैदा हुई है।
खेड़ा ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘कल जयपुर की एक अदालत ने शेखावत एवं उनके सहयोगियों के विरूद्ध 884 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के आदेश दिए। संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी के तहत हुए एक बहुचर्चित घोटाले में शेखावत एवं उनके सहयोगियों की भूमिका चौंका देने वाली है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘2008 में पंजीकृत संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी राजस्थान एवं गुजरात में सक्रिय है। इस सोसाइटी में इन दोनों राज्यों से कुल 2,14,472 निवेशकों का 883.88 करोड़ रूपये का निवेश 30 जून 2019 तक हुआ था। 1 जून 2019 के बाद इस सोसायटी ने किसी भी निवेशक को राशि परिपक्वता हो जाने के बावजूद कोई भुगतान नहीं किया। प्रथम दृष्टया ऋण प्रक्रिया में भारी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘यदि शेखावत का नाम राजस्थान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने में आता है तो सवाल यह है कि इस ‘ऑपरेशन लोटस’ का धन कहां से आ रहा है ?’’
खेड़ा ने कहा, ‘‘ कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री से यह मांग करती है कि शेखावत से तुरंत इस्तीफा लिया जाए और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी एवं पारदर्शिता का एक उदाहरण दिया जाए।’’
हक
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