देश की खबरें | माकपा ने चुनाव नियम में संशोधन को तत्काल वापस लेने की मांग की
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नयी दिल्ली, 22 दिसंबर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को उस चुनाव नियम संशोधन को तत्काल वापस लेने की मांग की, जो सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगाता है।
एक बयान में, माकपा पोलित ब्यूरो ने संशोधन पर अपनी कड़ी आपत्ति जतायी, जिसमें वीडियो और अन्य डिजिटल दस्तावेजों सहित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की पहुंच को प्रतिबंधित किया गया है।
सरकार ने सीसीटीवी कैमरे और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव से संबंधित नियम में बदलाव किया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके।
निर्वाचन आयोग (ईसी) की सिफारिश के आधार पर, केंद्रीय कानून मंत्रालय ने सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाने वाले ‘‘कागजात’’ या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित करने के लिए चुनाव संचालन नियमावली, 1961 के नियम 93 (2) (ए) में संशोधन किया है।
माकपा ने कहा कि ये कदम निर्वाचन आयोग ने अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करके शुरू किए थे, उसने नियम में संशोधन के कदम को ‘‘प्रतिगामी’’ बताया।
उसने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के साथ उचित परामर्श नहीं किया गया।
माकपा ने कहा, ‘‘मीडिया की खबरों से पता चलता है कि सरकार ने नये नियमों का मसौदा तैयार करते समय भारत के निर्वाचन आयोग के साथ परामर्श किया। हालांकि, निर्वाचन आयोग की कथित सहमति से पहले राजनीतिक दलों के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया, जो वर्षों से स्थापित मिसालों के विपरीत है।’’
माकपा ने कहा, ‘‘सरकार का तर्क, जो चुनावी प्रक्रिया के संचालन पर याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाता है, भ्रामक है। यह दृष्टिकोण पूरी तरह से अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं में राजनीतिक दलों की भागीदारी को बाहर करता है।’’
माकपा ने कहा कि उसके अनुभव, विशेष रूप से त्रिपुरा में लोकसभा चुनाव के दौरान, ने दिखाया कि धांधली के आरोपों के कारण मतदान केंद्रों के भीतर वीडियोग्राफिक रिकॉर्ड की जांच की गई, जिसके परिणामस्वरूप अंततः दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग आधे मतदान केंद्रों में पुनर्मतदान की घोषणा की गई।
उसने कहा, ‘‘इस युग में, जहां प्रौद्योगिकी चुनावी प्रक्रिया का अभिन्न अंग है, सरकार का यह कदम एक प्रतिगामी कदम है। इसलिए, माकपा पोलित ब्यूरो चुनाव संचालन नियमों में प्रस्तावित संशोधनों को तत्काल वापस लेने की मांग करता है।’’ नियम 93 के अनुसार, चुनाव से संबंधित सभी ‘‘कागजात’’ सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जायेंगे। संशोधन में ‘‘कागजातों’’ के बाद ‘‘जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है’’ शब्द जोड़े गए हैं।
विधि मंत्रालय और निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने अलग-अलग बताया कि संशोधन के पीछे एक अदालती मामला था।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल में निर्वाचन आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनाव से संबंधित आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियां वकील महमूद प्राचा को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
यद्यपि नामांकन फार्म, चुनाव एजेंट की नियुक्ति, परिणाम और चुनाव खाता विवरण जैसे दस्तावेजों का उल्लेख चुनाव संचालन नियमों में किया गया है, लेकिन आदर्श आचार संहिता अवधि के दौरान सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज इसके दायरे में नहीं आते हैं।
निर्वाचन आयोग के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘‘ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां नियमों का हवाला देते हुए ऐसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मांगे गए हैं। संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि केवल नियमों में उल्लेखित कागजात ही सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध होंगे और कोई अन्य दस्तावेज जिसका नियमों में कोई संदर्भ नहीं है, उसकी सार्वजनिक निरीक्षण की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’
निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने कहा कि मतदान केंद्रों के अंदर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के दुरुपयोग से मतदान की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस फुटेज का इस्तेमाल एआई का उपयोग करके फर्जी विमर्श गढ़ने के लिए किया जा सकता है।
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