अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से कहा, निगरानी के लिये किये जाएं रैपिट एंटी-बॉडी टेस्ट

न्यायमूर्ति मनीष पिटाले, 'सिटिजन फोरम फॉर इक्वैलिटी' के अध्यक्ष मधुकर कुकड़े और अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

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नागपुर, एक मई, बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र सरकार से भारतीय कंपनियों द्वारा मुहैया कराई गई विश्वसनीय किटों से रैपिड एंटी-बॉडी टेस्ट कराने के लिये कहा है क्योंकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईएमसीआर) ने कोविड-19 प्रकोप की निगरानी और रोकथाम के उद्देश्य से ऐसे परीक्षणों की उपयोगिता को मान्यता दी है।

न्यायमूर्ति मनीष पिटाले, 'सिटिजन फोरम फॉर इक्वैलिटी' के अध्यक्ष मधुकर कुकड़े और अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

अदालत को बृहस्तपिवार को बताया गया था किटें उपलब्ध होने के बावजूद, केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार रैपिड एंटी-बॉडी टेस्ट नहीं कराए जा रहे हैं।

बहरहाल, एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता तुषार मंडेलकर ने अदालत को बताया कि आईसीएमआर ने 27 अप्रैल के अपने पत्र में कहा था कि चीन की दो कंपनियों की रैपिड एंटी-बॉडी जांच किटों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये। हालांकि पत्र में ऐसी जांचों के लिये आईएमसीआर के किसी भी नीतिगत फैसले का जिक्र नहीं है।

वहीं केन्द्र सरकार की ओर से पेश सहायक सॉलिसिटर जनरल उल्हास औरंगाबादकर ने कहा कि निगरानी के लिये एंटी-बॉडी टेस्ट कराए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण का पता लगाने के लिये सबसे अच्छी जांच ‘आरटी-पीसीआर स्वैब टेस्ट’ को जारी रखा जाना चाहिये।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति पिटाले ने कहा, ''कोविड-19 के अनियंत्रित प्रसार के खतरे के मद्देनजर इसे नियंत्रित करने के लिए निगरानी निश्चित रूप से रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकती है।''

पीठ ने कहा आईसीएमआर के पत्र के मद्देनजर, राज्य सरकार कम से कम निगरानी के उद्देश्य से भारतीय कंपनियों द्वारा आपूर्ति की गईं किटों का उपयोग करके रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कर सकती हैं।

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