नयी दिल्ली, 17 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने अधिवक्ता एवं कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के अवमानना मामले में सोमवार को विचार के लिये तीन सवाल तैयार किये। इनमें एक सवाल यह भी है कि न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित अवमानना मामले में क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण और पत्रकार तरूण तेजपाल के खिलाफ 11 साल पुराने अवमानना के इस मामले में तैयार तीन प्रश्नों पर वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने की दिशा में कदम उठाये। न्यायालय इस मामले में 24 अगस्त को सुनवाई करेगा।
न्यायालय ने प्रशांत भूषण द्वारा समाचार पत्रिका तहलका में अपने इंटरव्यू में शीर्ष अदालत के कुछ पीठासीन और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर कथित रूप से आक्षेप लगाये थे। तेजपाल इस पत्रिका के संपादक थे।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उसके समक्ष पेश मामले के दूरगामी नतीजे हैं और वह अधिवक्ताओं को सुनना चाहती है कि क्या न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुये बयान दिये जा सकते हैं और ऐसे मामले में क्या प्रकिया अपनाई जानी चाहिए।
भूषण ने रविवार को न्यायालय से कहा था कि न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाना न्यायालय की अवमानना नहीं होगी और सिर्फ भ्रष्टाचार के आरोप बोलना ही न्यायालय की अवमानना नहीं होगी।
शीर्ष अदालत ने भूषण की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन, शांति भूषण और कपिल सिब्बल से कहा कि वे इन तीन बिन्दुओं पर न्यायालय को संबोधित करें--क्या इस तरह के बयान दिये जा सकते हैं, किन परिस्थितियों में ये दिये जा सकते हैं और पीठासीन तथा सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के मामलों में क्या प्रकिया अपनाई जानी चाहिए।
मामले की शुरूआत में धवन ने कहा कि न्यायालय को चुनिन्दा सवालों पर विचार करना चाहिए और सारे मामले पर वृहद पीठ को सुनवाई करनी चाहिए।
धवन ने न्यायालय के उस हालिया फैसले का भी जिक्र किया जिसमें प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके दो अपमानजनक ट्वीट के कारण अवमानना का दोषी ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में 14 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार के लिये भूषण याचिका दायर करने की सोच रहे हैं।
धवन ने न्यायालय से कहा कि ऐसा लगता है कि 14 अगस्त के फैसले में कई विसंगतियां हैं क्योंकि कुछ जगहों पर इसमें कहा गया है कि न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप अवमानना नहीं बनता है।
तेजपाल की ओर से सिब्बल ने कहा कि फिर तो इस मामले को खत्म कर दिया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि न्यायालय मामले को खत्म करना भी चाहता हो तो भी कुछ ऐसे सवाल हैं जिन पर विचार करने की आवश्कता है।
धवन ने कहा कि न्यायालय द्वारा उठाये गये सवाल बहुत ही ‘महत्वपूर्ण’ हैं और उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले पर संविधान पीठ को विचार करना चाहिए।
शांति भूषण ने इस मामले को दो सप्ताह के लिये स्थगित करने का अनुरोध किया जब न्यायालय में सामान्य कामकाज शुरू होने की संभावना है।
अनूप
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