नई दिल्ली, 18 मई: दिल्ली उच्च न्यायालय ने विभिन्न कारोबारी इकाइयों को बिना अनुमति के व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए अभिनेता जैकी श्रॉफ के नाम (जिसमें उनका उपनाम ‘जैकी’ और ‘जग्गू दादा’ शामिल है) और आवाज तथा उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करने से रोक दिया है.
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने 15 मई के एक अंतरिम आदेश में कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर वॉलपेपर, टी-शर्ट और पोस्टर आदि बेचने वाली और कृत्रिम मेधा (एआई) चैटबॉट प्लेटफॉर्म का संचालन करने वाली कारोबारी इकाइयां उनकी विशेषताओं का दोहन और दुरुपयोग करके अभिनेता के व्यक्तित्व और प्रचार के अधिकार का उल्लंघन कर रही हैं.
न्यायाधीश ने सामग्री सृजित करने वाले (कंटेंट क्रिएटर्स) उन दो लोगों के खिलाफ भी निर्देश पारित किया, जिन्होंने श्रॉफ के वीडियो को ‘बेहद अभद्र शब्दों और गालियों’ के साथ प्रदर्शित किया था.
अदालत ने कहा कि श्रॉफ एक ‘सेलिब्रिटी’ (मशहूर शख्सियत) हैं और यह दर्जा स्वाभाविक रूप से उन्हें उनके व्यक्तित्व और संबंधित विशेषताओं पर कुछ अधिकार प्रदान करता है.
अदालत ने कहा, ‘‘वादी ने एक पक्षीय व्यादेश (इनजंक्शन) देने के लिए प्रथम दृष्टया मामला स्थापित किया है. सुविधा का संतुलन उसके पक्ष में है और प्रतिवादी संख्या 3-4, 6-7, 13 और 14 के खिलाफ है. मौजूदा मामले में यदि व्यादेश नहीं दिया गया, तो इससे वादी को न केवल आर्थिक रूप से अपूरणीय क्षति/नुकसान होगा, बल्कि सम्मान के साथ जीने के उसके अधिकार को भी क्षति पहुंचेगी.’’
अदालत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट हो गया है कि प्रथम दृष्टया कुछ प्रतिवादियों की कथित गतिविधियों के परिणामस्वरूप वादी के व्यक्तित्व के अनधिकृत दोहन के माध्यम से व्यावसायिक लाभ हुआ है. ऐसे प्रतिवादियों ने वादी के नाम, तस्वीर, आवाज़ और अन्य विशिष्ट विशेषताओं का बिना अनुमति के उपयोग किया है, जिससे उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.’’
अदालत ने उनके अधिकारों के कथित उल्लंघन के संबंध में कुछ अन्य कारोबारी इकाइयों को नोटिस जारी किया, जिसमें कथित रूप से अपमानजनक वीडियो की मेजबानी करने वाला एक यूट्यूब सामग्री बनाने वाला और अपने प्रतिष्ठान के लिए पंजीकृत ट्रेडमार्क ‘भिडू’ का उपयोग करने वाला एक रेस्तरां मालिक शामिल है.
अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को करेगी. अदालत ने दूरसंचार विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को उल्लंघन करने वाले ‘यूआरएल‘ को प्रतिबंधित करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को आवश्यक निर्देश जारी करने का निर्देश दिया.
श्रॉफ ने व्यावसायिक लाभ के लिए कई कारोबारी इकाइयों द्वारा बिना लाइसेंस के उनके नाम और व्यक्तित्व संबंधी विशेषताओं का उपयोग करने के खिलाफ इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
उनके वकील ने उत्पादों और वॉलपेपर की बिक्री के साथ-साथ ‘अपमानजनक’ मीम्स, जीआईएफ और एआई के उपयोग के माध्यम से उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों के ‘दुरुपयोग’ पर आपत्ति जताई थी.
श्रॉफ का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रवीण आनंद ने तर्क दिया कि तर्क दिया कि लोगों को यह सोचकर उपभोक्ताओं को उत्पाद खरीदने के लिए गुमराह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि वे 200 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता द्वारा समर्थित हैं.
अपने मामले के समर्थन में, श्रॉफ के वकील ने अभिनेता अमिताभ बच्चन और अनिल कपूर द्वारा दायर किये गए इसी तरह के मुकदमों में उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों पर भरोसा किया था.
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