विदेश की खबरें | चुनाव नामांकन आरोपों के सिलसिले में इमरान खान को अयोग्य ठहराने की मांग अदालत ने खारिज की
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

इस्लामाबाद, 21 मई पाकिस्तान की एक अदालत ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक मामले में अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली एक याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।

याचिका में दावा किया गया था खान ने 2018 के आम चुनाव में अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हुए कथित रूप से गलत सूचना प्रदान की थी और इस आधार पर उन्हें अयोग्य ठहराने का अदालत से अनुरोध किया गया था।

‘जियो न्यूज’ के मुताबिक मोहम्मद साजिद नामक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक खान ने 2018 में आम चुनाव लड़ने के लिए जो नामाकंन पत्र दाखिल किये थे, उनमें उन्होंने अपनी कथित बेटी तायरियान के बारे में खुलासा नहीं किया था।

पीटीआई ने 2018 का आम चुनाव जीता था और खान अगस्त, 2018 से अप्रैल, 2022 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे थे। खान खेल से राजनीति में आये थे।

साजिद ने आरोप लगाया था कि खान ने 2018 में आम चुनाव लड़ने लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान गलत सूचना प्रदान की थी।

यह मामला मई 2023 से लंबित था क्योंकि इसकी सुनवाई कर रही तीन न्यायाधीशों की पीठ को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने भंग कर दिया था।

मंगलवार को उच्च न्यायालय की एक नयी पीठ ने सुनवाई के लिए इस मामले को हाथ में लिया। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने खान को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी।

याचिका में कहा गया है कि वैसे तो पूर्व प्रधानमंत्री खान की तीन संतानें हैं लेकिन उन्होंने नामांकन पत्रों ने बस दो का जिक्र किया एवं अपनी तीसरी संतान की जानकारी छिपा ली।

याचिकाकर्ता के वकीलों ने दलील दी कि पीटीआई संस्थापक ने पाकिस्तान निर्वाचन आयोग के समक्ष दाखिल किये अपने हलफनामे में तायरियान की अपनी बेटी के रूप घोषणा नहीं की।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि खान ने अपनी कथित गर्लफ्रेंड एवं तायरियान की मां सीता व्हाइट से शादी नहीं की थी क्योंकि उसके (सीता के) पिता ने खान से कहा था कि यदि वह सीता से शादी करते हैं तो उन्हें उनकी संपत्ति से एक ‘भी पैसा’ नहीं मिलेगा।

‘इमरान बनाम इमरान- द अनटोल्ड स्टोरी’ नामक इस याचिका में यह भी दावा किया गया कि तायरियान की अभिरक्षा खान की पूर्व पत्नी जेमिमा गोल्डस्मिथ को दे दी गयी।

उसमें कहा गया है कि सीता ने 27 फरवरी, 2004 को अपने इच्छा पत्र में जेमिमा को अपनी बेटी का अभिभावक नामित किया था। सीता उस साल 13 मई को चल बसी थीं।

याचिका के अनुसार पीटीआई संस्थापक प्रारंभ में अदालती कार्यवाही में शामिल हुए थे लकिन जब उनसे रक्त परीक्षण के लिए कहा गया है तब वह पीछे हट गये।

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